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Saturday, 19 July, 2025
होमदेशED ने चैतन्य बघेल पर शराब सिंडिकेट के लिए 1,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप लगाया

ED ने चैतन्य बघेल पर शराब सिंडिकेट के लिए 1,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप लगाया

चैतन्य के खिलाफ जांच, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की शराब नीति में गड़बड़ियों की जांच का हिस्सा है, जो कथित तौर पर छत्तीसगढ़ सरकार को 3,100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

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नई दिल्ली: उसने अपनी रियल एस्टेट परियोजनाओं और संपर्कों का उपयोग करके एक शराब सिंडिकेट द्वारा उत्पन्न लगभग 1,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग करने की कोशिश की, और इसके लिए उसे 16 करोड़ रुपये से ज्यादा मिले: यह है प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का मामला छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ.

चैतन्य इस समय ईडी की हिरासत में हैं, उन्हें 18 जुलाई को गिरफ्तार किया गया, और यह संयोग से उनका जन्मदिन था. चैतन्य, भूपेश बघेल के इकलौते बेटे, को कांग्रेस सरकार के दौरान 2018 से 2023 तक के शराब नीति में गड़बड़ियों की जांच के तहत उनके भिलाई स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया.

केंद्रीय जांच एजेंसी ने अपनी रिमांड आवेदन में चैतन्य बघेल के खिलाफ आरोपों की सूची दी, जिसे रायपुर के विशेष PMLA कोर्ट में प्रस्तुत किया गया.

मनी लॉन्ड्रिंग की जांच छत्तीसगढ़ के आर्थिक अपराध शाखा द्वारा जनवरी 2024 में दर्ज की गई एक एफआईआर से शुरू हुई, जिसमें 70 व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए, जिसमें तब के शराब मंत्री कावासी लखमा और उस समय के प्रमुख ब्यूक्रेट्स शामिल थे. लखमा को ईडी ने पहले ही इस मामले में गिरफ्तार किया था, और वह अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं.

रिमांड आवेदन में एजेंसी ने आरोप लगाया कि चैतन्य ने सहयोग नहीं किया और महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया, इसलिए उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा—यह आरोप उनके कानूनी टीम द्वारा सख्ती से खारिज किया गया. उनके वकील फैसल रिज़वी ने दिप्रिंट से कहा, “उन्हें कभी भी पूछताछ के लिए समन नहीं किया गया, और न ही उनके बयान PMLA की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए. एक सह-आरोपी के बयान पर मामला तैयार किया गया है, जो चैतन्य को फंसाने वाले बयान देने के बाद अब भी मुक्त है. यह ईडी की चुनिंदा कार्यवाही है, जो कानून के स्थिर अनुप्रयोग से रहित है.”

ईडी का मामला मुख्य रूप से मामले में एक अन्य आरोपी, लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू, एक कैश कूरियर के बयानों पर आधारित है, जिसने आरोप लगाया कि उसने चैतन्य के निर्देशों पर लगभग 1,000 करोड़ रुपये का पैसा भेजा, और यह पैसा शराब नीति सिंडिकेट की आय था.

‘नकद कूरियर, कम मूल्यांकित निर्माण परियोजनाएं’

चैतन्य, जो पेशे से डॉक्टर हैं और एक रियल एस्टेट फर्म बघेल डेवलपर्स के मालिक हैं, एजेंसी की जांच में मार्च में पहली बार आए जब अधिकारियों ने शराब नीति घोटाले से जुड़ी उनकी परिवार की भिलाई स्थित रिहायश पर छापा मारा.

छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा और ईडी ने आरोप लगाया है कि शराब सिंडिकेट का संचालन अनवर धेबर, रायपुर के पूर्व मेयर अयाज धेबर के भाई, कर रहे थे. अनवर, निलंबित आईएएस अधिकारी अनिल तुटेजा के साथ मिलकर शराब की आपूर्ति का प्रबंधन करते थे, जमीन पर कमीशन इकठ्ठा करते थे और मंत्रियों और अधिकारियों को कथित तौर पर रिश्वत भेजते थे, जो सिंडिकेट का हिस्सा थे. इस सिंडिकेट के कारण कांग्रेस शासन के दौरान राज्य सरकार को 3,100 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ.

चैतन्य के खिलाफ मामले के बारे में विस्तार से बताते हुए, ईडी ने अपनी रिमांड आवेदन में कहा कि शराब सिंडिकेट से अपराध की आय को धोने के प्रयासों के तहत, चैतन्य ने सहेली ज्वैलर्स नामक एक फर्म के साथ 5 करोड़ रुपये का अवैध लेन-देन किया.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि शराब नीति सिंडिकेट द्वारा उत्पन्न कुल 3,100 करोड़ रुपये की अपराध की आय का बड़ा हिस्सा पप्पू द्वारा मूव किया गया. पप्पू ने स्वीकार किया है कि उसे सिंडिकेट के प्रमुख अनवर धेबर से तीन महीने में 136 करोड़ रुपये मिले और उसे चैतन्य के निर्देश पर विभिन्न व्यापारियों तक पहुंचाया.

इसमें से, एजेंसी कहती है, पप्पू ने चैतन्य के लिए 1,000 करोड़ रुपये भेजे. “वह इन अपराध की आय को अनवर धेबर से दीपेन चौड़ा के माध्यम से इकट्ठा करता था और फिर इन्हें श्री राम गोपाल अग्रवाल को आपके (चैतन्य) समन्वय से भेजता था,” एजेंसी ने रिमांड आवेदन में आरोप लगाया, जिसे दिप्रिंट ने देखा है.

एजेंसी ने आगे आरोप लगाया कि अपराध की आय को चैतन्य की फर्म के एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में धोने के लिए प्रोजेक्ट की लागत को कागज पर कम दिखाया गया. एजेंसी के अनुसार, प्रोजेक्ट की असली लागत करीब 13 से 15 करोड़ रुपये थी, लेकिन इसे 7.14 करोड़ रुपये दिखाया गया.

7.14 करोड़ रुपये की दस्तावेज़ी लागत में से, केवल 2.62 करोड़ रुपये को प्रोजेक्ट से जुड़े निर्माण कंपनी को भुगतान के रूप में दर्ज किया गया था. बाकी राशि, एजेंसी के अनुसार, शराब सिंडिकेट की आय से नकद में भुगतान की गई थी.

ईडी ने आगे यह भी बताया कि अपराध की आय को बघेल डेवलपर्स के प्रोजेक्ट्स में फ्लैट्स की अप्रत्यक्ष खरीद के जरिए भी धोया गया, जिसका पैसा चैतन्य ने खुद अप्रत्यक्ष रूप से भुगतान किया. उदाहरण के लिए, एजेंसी ने दस्तावेज किया कि दो फर्मों, धिल्लों ड्रिंक्स और धिल्लों सिटी मॉल के नियंत्रक, त्रिलोकी सिंह धिल्लों ने 5 करोड़ रुपये बघेल डेवलपर्स को अपने “कर्मचारियों” के नाम पर फ्लैट्स खरीदने के लिए दिए.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि पूरी योजना इस तरह से डिज़ाइन की गई थी कि अपराध की आय को वैध रूप से बघेल डेवलपर्स के खातों में प्रवेश कराया जाए.

एजेंसी ने रिमांड आवेदन में बताया, “इसलिए, जांच के निष्कर्षों के आधार पर, यह स्पष्ट है कि चैतन्य बघेल ने अपराध की आय के 16.70 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं और 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अपराध की आय के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चैतन्य बघेल ने अपनी परियोजना में इसे सम्मिलित कर अपराध की आय के वास्तविक स्रोत को छिपाया, ताकि इसे बिना किसी दाग के प्रस्तुत किया जा सके.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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