scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमदेशअर्थजगतसीएमआईई के बेरोजगारी आंकड़े पर अर्थशास्त्रियों ने उठाए सवाल

सीएमआईई के बेरोजगारी आंकड़े पर अर्थशास्त्रियों ने उठाए सवाल

Text Size:

कोलकाता, तीन मई (भाषा) अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली संस्था सीएमआईई के बेरोजगारी संबंधी ताजा मासिक आंकड़ों से कुछ अर्थशास्त्रियों ने असहमति जताई है। उनकी आपत्ति खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर को लेकर है।

विशेषज्ञों का मानना है कि सीएमआईई बेरोजगारी की स्थिति की गणना के लिए जो पद्धति अपनाती है, उससे बेरोजगारी की सही तस्वीर पता चल पाना मुश्किल है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) ने सोमवार को आंकड़े जारी करते हुए कहा था कि अप्रैल 2022 में देश की बेरोजगारी दर बढ़कर 7.83 फीसदी हो गई। मार्च में यह 7.60 फीसदी रही थी।

सीएमआईई के मुताबिक, अप्रैल में शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर एक माह पहले के 8.28 फीसदी से बढ़कर 9.22 फीसदी हो गई। वहीं ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर घटकर 7.18 फीसदी रही जबकि मार्च में यह 7.29 फीसदी रही थी।

इन आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए अर्थशास्त्री अजिताभ रॉयचौधरी ने कहा कि सीएमआईई अपने आंकड़े जुटाने के लिए शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के 44,000 परिवारों के बीच सर्वेक्षण करती है। उन्होंने कहा, ‘‘सर्वे के दिन अगर कोई कहता है कि वह फेरी लगाता है या कूड़ा बीनता है तो भी उसे रोजगार में लगा मान लिया जाता है।’’

हालांकि, जादवपुर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रॉयचौधरी कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक सिर्फ ‘सम्मानजनक’ काम करने वालों को ही रोजगार वाला माना जाना चाहिए। आईएलओ के मुताबिक सम्मानजनक काम लोगों के कामकाजी जीवन में उनकी आकांक्षाओं को समाहित करता है।

इसमें उत्पादक कार्य करने, समुचित आय मिलने, कार्यस्थल पर सुरक्षा और परिवारों के लिए सामाजिक संरक्षण के साथ व्यक्तिगत विकास की बेहतर संभावनाएं होना भी शामिल है।

प्रोफेसर रॉयचौधरी ने कहा, ‘‘सीएमआईई कोई फर्क नहीं करता है कि लोग सम्मानजनक कार्यों में लगे हैं या नहीं। अगर सम्मानजनक काम संबंधी आईएलओ के मानदंड को लागू किया जाता है, तो बेरोजगारी दर कहीं ज्यादा होगी।’

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सीएमआईई के इस आंकड़े से बेरोजगारी की सही स्थिति पता चल पाना मुश्किल है।

इस बारे में पूछे जाने पर सीएमआईई के एक सूत्र ने कहा कि संस्था की गणना-पद्धति बेहद सख्त है और सर्वेक्षण हर दिन सुबह से शाम तक किए जाते हैं।

इस सूत्र के मुताबिक, अगर लोग दिन में काम पाने को लेकर आश्वस्त नहीं होते हैं तो उनसे पूछा जाता है कि क्या उन्हें एक दिन पहले काम मिला था। अगर उसका जवाब नकारात्मक होता है तो फिर उसे बेरोजगार मान लिया जाता है।

अर्थशास्त्री अभिरूप सरकार ने सीएमआईई के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह उतार-चढ़ाव दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था में अब भी अनिश्चितता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये उठापटक एक परिपक्व अर्थव्यवस्था में सामान्य हैं। सांख्यिकीय गलती का एक घटक भी है। लिहाजा अर्थव्यवस्था की असली तस्वीर के बारे में किसी नतीजे पर पहुंचना बेहद मुश्किल है।’’

एक अन्य अर्थशास्त्री ने नाम सामने न आने की शर्त पर कहा कि एनएसएसओ की तुलना में सीएमआईई का नमूना आकार छोटा है और उसके सवालों की सूची भी व्यापक नहीं है।

सीएमआईई के मुताबिक, अप्रैल 2022 में हरियाणा 34.5 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ पहले स्थान पर रहा है जिसके बाद राजस्थान का दूसरा स्थान है।

भाषा

प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments