नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) खाद्य तेलों के रिकॉर्ड आयात से स्थानीय तेल तिलहन उद्योग में पैदा हुई घबराहट के बीच दिल्ली बाजार में शनिवार को ज्यादातर तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट रही तथा सरसों एवं सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट रही जबकि मूंगफली तेल तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि पिछले साल मार्च में समाप्त हुए पांच महीनों के दौरान 57,95,728 टन खाद्यतेलों का आयात हुआ था जबकि इस साल मार्च में समाप्त हुए पांच महीनों में यह 22 प्रतिशत बढ़कर 70,60,193 टन हो गया। इसके अलावा खाद्यतेलों की 24 लाख टन की खेप आनी अभी बाकी है। इस तरह भारी आयात और पाइपलाइन में स्टॉक होने से सरसों जैसे स्थानीय तिलहन का बाजार में खपना मुश्किल हो गया है। मौजूदा स्थिति के बीच स्थानीय तेल उद्योग के साथ किसानों में घबराहट की स्थिति है जो खाद्यतेल कीमतों में गिरावट आने का मुख्य कारण है।
सूत्रों के मुताबिक, तेल मिल निकाय ‘साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन’ (एसईए) के कार्यकारी अध्यक्ष बी वी मेहता ने सरकार से अपील की है कि देश की प्रसंस्करण मिलों को चलाने के लिए पाम और पामोलीन के बीच आयात शुल्क अंतर को मौजूदा 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया जाए। यह एक तरह से पामोलीन पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग है।
तेल उद्योग के सूत्रों ने कहा कि पाामोलीन का आयात शुल्क बढ़ा तो लोग पामोलीन की जगह सीपीओ का आयात शुरु कर देंगे और तब केवल प्रसंस्करण मिलें ही आयात कर पायेंगी। यानी पामोलीन तेल, सूरजमुखी एवं सोयाबीन तेल से और महंगा हो जायेगा।
सूत्रों ने कहा कि जब नरम तेल इतनी अधिक मात्रा में आयात हो चुका है तो सिर्फ पाम पामोलीन के बीच शुल्क अंतर बढ़ाने से कौन सा बड़ा फर्क होने वाला है। देशी तेल तिलहन तो तब भी खपेंगे नहीं। लेकिन नरम तेलों के अंधाधुंध आयात के बारे में चुप्पी खटकने वाली है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने संभवत: खाद्यतेलों के शुल्कमुक्त आयात की छूट इसलिए नहीं दी थी कि देशी सरसों की बंपर फसल और सूरजमुखी फसल बाजार में न खपे। देशी तेल तिलहन उद्योग चलाने के लिए पहले नरम तेलों के अंधाध्रुंध आयात को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,105-5,200 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,790-6,850 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,660 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,535-2,800 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 9,980 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,595-1,665 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,595-1,715 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,780 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,950 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,380 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,150 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,365-5,415 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 5,115-5,215 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश प्रेम
प्रेम
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.