नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) मुंबई के प्रमुख कार्यालय भवनों में यदि हवा आधारित केंद्रीकृत वातानुकूलन (कूलिंग) प्रणाली की जगह पानी आधारित वातानुकूलन को अपनाया जाए, तो हर साल बिजली के बिल में 175 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। जेएलएल इंडिया ने बुधवार को यह बात कही।
संपत्ति सलाहकार ने कहा कि इस समय मुंबई में ‘ए’ श्रेणी के कार्यालय स्थल का कुल क्षेत्रफल 14.4 करोड़ वर्ग फुट है। इसमें से सिर्फ 42 प्रतिशत (छह करोड़ वर्ग फुट) केंद्रीकृत हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी) प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं। एचवीएसी को आम बोलचाल की भाषा में वातानुकूलन प्रणाली के नाम से जाना जाता है।
जेएलएल इंडिया ने अपनी रिपोर्ट ‘एचवीएसी हस्तक्षेपों के माध्यम से एक स्थायी दृष्टिकोण’ में कहा कि एक कुशल एचवीएसी प्रणाली की मदद से वाणिज्यिक भवनों की ऊर्जा जरूरतों को कम किया जा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘केंद्रीकृत एचवीएसी प्रणाली वाले छह करोड़ वर्ग फुट कार्यालय स्थान में केवल 3.3 करोड़ वर्ग फुट में पानी आधारित वातानुकूलन का इस्तेमाल किया जाता है, जो हवा आधारित वातानुकूलन की तुलना में अधिक ऊर्जा कुशल है।’’
जेएलएल इंडिया ने एक बयान में कहा कि पानी आधारित वातानुकूलन प्रणाली के इस्तेमाल से मुंबई के प्रमुख कार्यालय भवनों में हर साल 18.5 करोड़ किलोवॉट ऊर्जा को बचाया जा सकता है, जिससे 1.48 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी होगी। इससे सालाना बिजली के बिल में 175 करोड़ रुपये की कमी आएगी।
भाषा पाण्डेय अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.