मुंबई, 27 जून (भाषा) वाणिज्यिक बैंकों का फंसा कर्ज यानी सकल एनपीए इस साल मार्च में 12 महीने के निचले स्तर 2.8 प्रतिशत रहा। यह चालू वित्त वर्ष के अंत तक और कम होकर 2.5 प्रतिशत तक आ सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में यह कहा गया है।
इस साल मार्च में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (जीएनपीए) अनुपात घटकर 2.8 प्रतिशत जबकि शुद्ध एनपीए 0.6 प्रतिशत पर रहा।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता में निरंतर सुधार जारी है और उनका सकल एनपीए अनुपात मार्च, 2024 में 12 साल के निचले स्तर पर आ गया। उनका शुद्ध एनपीए अनुपात भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहा।’’
बैंकों में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के सकल एनपीए अनुपात में 2023-24 की दूसरी छमाही के दौरान 0.76 प्रतिशत की कमी आई। हालांकि, सभी श्रेणी के बैंकों में सकल एनपीए में कमी आई है, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों के बेहतर प्रावधान के परिणामस्वरूप मार्च, 2024 में प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) में सुधार हुआ है।
सभी बैंक समूहों में छमाही आधार पर मानक कर्ज के अनुपात में नये एनपीए में कमी आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि वर्ष के दौरान बट्टे खाते में राशि डालने की मात्रा में गिरावट आई, लेकिन सकल एनपीए में कमी के कारण ‘राइट-ऑफ’ यानी बट्टे खाते में डाले जाने अनुपात लगभग एक साल पहले के स्तर पर ही रहा।
इसमें कहा गया है कि मार्च, 2020 से सकल एनपीए अनुपात में निरंतर कमी मुख्य रूप से नए एनपीए की वृद्धि में लगातार गिरावट और बट्टे खाते में वृद्धि के कारण हुई है।
आरबीआई ने कहा कि वृहद आर्थिक परिवेश से उत्पन्न होने वाले अप्रत्याशित झटकों के प्रति अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के बही-खातों की मजबूती का आकलन करने के लिए दबाव परीक्षण किए जाते रहे हैं। ये परीक्षण पूंजी अनुपात का आकलन करने का प्रयास करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मार्च, 2025 तक सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का जीएनपीए अनुपात सुधरकर 2.5 प्रतिशत हो सकता है।’’
हालांकि, यदि वृहद आर्थिक परिवेश गंभीर दबाव परिदृश्य में बिगड़ता है, तो अनुपात 3.4 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको में जमा की गति 2023-24 के दौरान तेज रही। जो नई जमा राशि आई, वह मियादी जमा के रूप में रही।
आरबीआई ने कहा, ‘‘ब्याज दर अधिक आकर्षक होने से जमा बढ़ी है। बैंकों ने कर्ज मांग में तेज वृद्धि के अनुरूप धन जुटाने के प्रयास किये। इससे सभी बैंक समूहों में चालू खाते और बचत खाते में जमा बढ़े।’’
रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) और विदेशी बैंकों (एफबी) में 2023-24 की दूसरी छमाही के दौरान बैंक कर्ज बढ़ा। जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों (पीवीबी) के संबंध में इसमें नरमी रही।
कुल कर्ज में सेवा क्षेत्र और व्यक्तिगत ऋण की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई।
निजी क्षेत्र के बैंकों में कर्ज वृद्धि में व्यक्तिगत ऋण का योगदान आधे से अधिक था।
भाषा रमण अजय
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