नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में भविष्य की वृद्धि लाने का कारक निजी क्षेत्र हो सकता है। इस प्रणाली के तहत पिछले पांच वर्षों में ग्राहकों की संख्या के साथ-साथ प्रबंधन के तहत संपत्ति में तेजी से वृद्धि हुई है।
पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के सदस्य दीपक मोहंती द्वारा तैयार एक शोध पत्र में यह अनुमान जताया गया है। इसके मुताबिक, वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच एनपीएस अशंधारकों की संख्या तीन गुना बढ़ गई जिनमें सर्वाधिक संख्या अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के अंशधारकों की है। वहीं प्रबंधन के तहत संपत्ति भी चार गुना बढ़ गई जिसमें सर्वाधिक एनपीएस योजनाओं में बढ़ी है।
शोध-पत्र में कहा गया, ‘‘विभिन्न एनपीएस योजनाओं में सालाना रिटर्न दर 9.0-12.7 फीसदी के बीच और एपीवाई में 9.4 फीसदी है। इनसे निरंतर आय मिलने का लाभ है। इसके अलावा वैकल्पिक बचत साधनों के मुकाबले ये प्रतिस्पर्धी भी हैं।’’
एनपीएस की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई थी जबकि एपीवाई की शुरुआत 2015 में हुई थी। तब से देश के पेंशन क्षेत्र में काफी विस्तार हुआ है। अंशधारकों की कुल संख्या मार्च 2017 के 1.5 करोड़ के मुकाबले बढ़कर मार्च 2022 में 5.2 करोड़ हो गई जिसमें सर्वाधिक संख्या एपीवाई के अंशधारकों की है। एपीवाई के अंशधारकों की संख्या 93 लाख से करीब चार गुना बढ़कर 4.05 करोड़ हो गई। पेंशन अंशधारकों में से 78 फीसदी से अधिक संख्या एपीवाई के खाताधारकों की है।
प्रबंधन-अधीन संपत्तियों में पेंशन संपत्तियों की हिस्सेदारी बीते पांच साल में चार गुना बढ़कर 1,75,000 करोड़ रुपये से 7,37,000 करोड़ रुपये हो गई। इनमें भी ज्यादातर संपत्तियां एनपीएस के तहत हैं जो 1,70,000 करोड़ रुपये से 7,11,000 करोड़ रुपये के बीच है। यह कुल संपत्तियों का 96 फीसदी है, बाकी का चार फीसदी योगदान एपीवाई का है।
मोहंती ने कहा कि भारत का पेंशन क्षेत्र वृद्धावस्था में आय सुरक्षा देता है। उन्होंने कहा, ‘‘एनपीएस में भविष्य में जो विस्तार होगा वह वेतनभोगियों और स्वरोजगार वाले लोगों की ओर से और निजी क्षेत्र से आएगा।’’
शोध-पत्र में कहा गया कि भारत में यह पेंशन क्षेत्र के लिए शुरुआत है और प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के साथ इसमें वृद्धि की असीम संभावनाएं हैं।
भाषा मानसी प्रेम
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