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Sunday, 17 November, 2024
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नीतिगत कदमों के बावजूद आधे भारतीय वयस्क ‘ऋण से वंचित’: सिबिल रिपोर्ट

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मुंबई, 25 अप्रैल (भाषा) भारत में कमाई करने वाले समूह की आधी आबादी के बराबर यानी 65 वर्ष की उम्र तक के लगभग 48 करोड़ वयस्कों को ऋण सुविधा नहीं मिल पाती है। क्रेडिट सूचना कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

ट्रांसयूनियन सिबिल के एक वैश्विक अध्ययन में यह पाया गया है कि सिर्फ 17.9 करोड़ वयस्क भारतीयों को ही समुचित ऋण सुविधा मिल पाती है जबकि 16.4 करोड़ लोग समुचित ऋण सुविधा से वंचित रहते हैं।

अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, देश में ऋण संस्कृति को गहरा करने के लिए नीतिगत स्तर पर केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं ताकि कर्जदारों को सूदखोर साहूकारों के चंगुल में फंसने से बचाया जा सके। करीब 45 करोड़ बैंक खातों वाली जन धन योजना में खाते क्रेडिट ओवरड्रॉफ्ट सुविधा के साथ आते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के उलट अमेरिका में सिर्फ तीन प्रतिशत वयस्क ही ऋण सुविधा से वंचित हैं जबकि कनाडा में यह अनुपात सात फीसदी, कोलंबिया में 44 फीसदी और दक्षिण अफ्रीका में 51 फीसदी है।

सिबिल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राजेश कुमार ने कहा, ‘‘हालांकि भारत ने हाल के वर्षों में देश भर में ऋण समावेशन का स्तर बढ़ाने की दिशा में काफी प्रगति की है लेकिन मौजूदा हकीकत इस ऋण आंकड़े को कर्ज के पारिस्थितिकी तंत्र में समाहित करने के महत्व को दर्शाती है, ताकि ऋण सुविधाओं से वंचित उपभोक्ताओं की संख्या सीमित रहे।’’

रिपोर्ट में ऋण सुविधा से वंचित ग्राहकों की स्थिति को ‘अंडा पहले या मुर्गी’ जैसी बताते हुए कहा गया है कि क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट इतिहास नहीं होना एक ग्राहक के लिए ऋण पाने की राह में बड़ी बाधा होती है क्योंकि कई ऋणदाता ऐसे उपभोक्ताओं को कर्ज देने में हिचकिचाते हैं।

भाषा प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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