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Sunday, 17 November, 2024
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अनिश्चित समय में कर्ज तनाव से जूझ रहे देशों के बचाव में आने की जरुरत: सीतारमण

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वाशिंगटन, 23 अप्रैल (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महामारी और हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रम से पैदा हुई अनिश्चितता के कारण कर्ज के तनाव का सामना कर रहे देशों को बचाने की जरूरत पर बल दिया है।

सीतारमण ने शुक्रवार को विश्व बैंक के समूह अध्यक्ष डेविड मलपास के साथ एक बैठक में कहा कि भारत भू-राजनीतिक तनाव के बीच बढ़ती अनिश्चितता के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार को उत्पन्न जोखिमों को लेकर चिंतित है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में इस मुलाकात के दौरान उठे बिंदुओं की जानकारी दी है।

‘अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)-विश्व बैंक बैठक 2022’ में भाग लेने के लिए अमेरिका की यात्रा पर आईं सीतारमण ने विश्व बैंक के प्रमुख से कहा कि बहुपक्षवाद अब अधिक महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि इस समय दुनिया असाधारण अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘महामारी और हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण विश्व बैंक को ऋण तनाव का सामना करने वाले देशों के बचाव के वास्ते आगे आने की जरूरत है। खासकर श्रीलंका पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, जो अभूतपूर्व आर्थिक स्थिति का सामना करना रहा है।’’

भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका विदेशी मुद्रा की कमी और भुगतान संतुलन संकट के कारण अपने अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश का आर्थिक संकट आंशिक रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण उत्पन्न हुआ है। इसकी वजह से श्रीलंका मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा। इससे चीजों की किल्लत होने के साथ उनकी कीमतें बढ़ गई हैं।

मलपास के साथ बैठक के दौरान सीतारमण ने कहा कि भारत की महामारी के खिलाफ प्रतिक्रिया ने जीवन और आजीविका बचाने के दोहरे लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम सफलतापूर्वक चला रहा है, जिसमें 1.85 अरब से अधिक टीके लगाए गए हैं।

उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष के विश्व अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से भारत पर प्रभाव, विश्व बैंक समूह की अर्थव्यवस्था और भूमिका, एकल उधार सीमा और अन्य देशों से गारंटी की संभावना का पता लगाने और और भारत की जी20 अध्यक्षता के बारे में चर्चा की।

सीतारमण ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत की संकल्पना स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत को अपने राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन और गति शक्ति कार्यक्रमों के लिए जरूरी निवेश जुटाने के लिए विश्व बैंक से निरंतर समर्थन की उम्मीद है।

वित्त मंत्री ने विकास समिति सम्मेलन की 105वीं बैठक में हिस्सा लेते हुए कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि मजबूत और सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक रही है जो भारत के लचीलेपन एवं मजबूत सुधार को दर्शाती है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के 8-8.5 प्रतिशत से बढ़ने की उम्मीद है।

भाषा अमित प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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