नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) जोहो के श्रीधर वेम्बू ने भारत के सॉफ्टवेयर और आईटी सेवा क्षेत्र के भविष्य के बारे में चेतावनी देते हुए तर्क दिया है कि उद्योग एक बुनियादी बदलाव का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह न केवल चक्रीय नरमी या कृत्रिम मेधा (एआई) की चुनौती से जुड़ा मामला है, बल्कि एक संरचनात्मक बदलाव है, जो अगले कई दशकों को नया रूप देगा।
वेम्बू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा है कि उत्पादों और सेवाओं में अक्षमताएं लंबे समय से वैश्विक सॉफ्टवेयर उद्योग को परेशान कर रही हैं।
उन्होंने लिखा, ”हम जो देख रहे हैं, वह केवल चक्रीय नरमी नहीं है और यह केवल एआई से संबंधित नहीं है। शुल्क द्वारा प्रेरित अनिश्चितता के बिना भी, आगे परेशानी थी।”
वेम्बू ने कहा, ”व्यापक सॉफ्टवेयर उद्योग उत्पादों और सेवाओं दोनों में काफी अक्षम रहा है। ये अक्षमताएं दशकों तक चले परिसंपत्ति बुलबुले के दौरान जमा हुई हैं।”
उन्होंने जनवरी में अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आईटी फर्म में सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया था।
वेम्बू ने कहा कि सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में भारत ने इन अक्षमताओं के साथ तालमेल बिठाया है और यहां तक कि इन पर भरोसा भी किया है।
उन्होंने कहा, ”आईटी उद्योग ने उन प्रतिभाओं को अपने में समाहित कर लिया है, जो विनिर्माण या बुनियादी ढांचे में जा सकती थीं।”
वेम्बू की टिप्पणी सॉफ्टवेयर उद्योग के भविष्य को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है, क्योंकि एआई और स्वचालन पारंपरिक व्यापार मॉडल को खत्म करने की चुनौती पेश कर रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि एआई से सॉफ्टवेयर के विकास में बहुत मदद मिल सकती है और यह बड़ी टीमों की जरूरत कम कर सकता है। इससे भारत जैसे देश प्रभावित होंगे, जिन्होंने सॉफ्टवेयर निर्यात के इर्द-गिर्द अपनी अर्थव्यवस्थाएं बनाई हैं।
भाषा पाण्डेय रमण
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