नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ हजारों श्रमिकों को दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के पहले दिन पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सोमवार को सार्वजानिक क्षेत्र के कई बैंकों में कामकाज के प्रभावित होने के साथ सार्वजनिक परिवहन सेवाएं ठप पड़ गईं।
एक दर्जन ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई हड़ताल से हालांकि स्वास्थ्य सेवा, बिजली और ईंधन आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं पर असर नहीं पड़ा। सरकारी कार्यालयों समेत शिक्षण संस्थानों में इसका असर न के बराबर रहा।
कुछ बैंक शाखाओं, विशेष रूप से मजबूत ट्रेड यूनियन आंदोलन वाले शहरों में ‘ओवर-द-काउंटर’ सार्वजनिक लेनदेन बहुत सीमित रहा।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने कहा कि सरकार की कथित गलत नीतियों के विरोध में देशव्यापी हड़ताल के कारण कम से कम आठ राज्यों में बंद जैसी स्थिति बनी हुई है।
संयुक्त मंच ने कहा, ‘‘तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, असम, हरियाणा और झारखंड में बंद जैसी स्थिति है।’’
मंच के अनुसार गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों के कई औद्योगिक क्षेत्रों में विरोध-प्रदर्शन हुआ।
वहीं महाराष्ट्र में कई एटीएम मशीनों में नकद तुरंत उपलब्ध नहीं था।
श्रमिकों ने कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन भी किया और यूनियनों ने दावा किया कि झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे कोयला खनन क्षेत्रों में आंदोलन का असर पड़ा है।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच कर्मचारियों, किसानों और आम लोगों पर प्रतिकूल असर डालने वाली सरकार की कथित गलत नीतियों के विरोध में प्रदर्शन कर रहा है।
मंच दरअसल हाल में किए गए श्रम सुधारों और निजीकरण की कोशिशों का विरोध कर रहा है। इसके अलावा उनकी महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए बजट आवंटन बढ़ाने और संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने की भी मांग है।
पश्चिम बंगाल में हड़ताल में शामिल लोगों ने जगह-जगह प्रदर्शन करने के अलावा वाहनों एवं ट्रेनों के आवागमन को भी बाधित करने की कोशिश की। केरल में भी परिवहन निगम की बसों के अलावा ऑटोरिक्शा एवं निजी बसें नहीं चलीं लेकिन जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति, अस्पताल एवं एम्बुलेंस सेवाएं इससे अछूती रहीं।
हरियाणा में राज्य रोडवेज के कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने से सार्वजनिक परिवहन सेवाएं भी प्रभावित हुईं।
मंच ने दावा किया कि स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (सेल), राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एमएमडीसी) के कर्मचारियों ने भी हड़ताल में भाग लिया जिससे इस्पात संयंत्रों और खदानों में उत्पादन प्रभावित हुआ।
ट्रेड यूनियनों की दो दिन की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को बैंक कर्मचारियों के एक वर्ग के समर्थन की वजह से बैंकिंग सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुईं। हड़ताल के समर्थन में बैंक कर्मचारियों का एक वर्ग सोमवार को काम पर नहीं आया।
हड़ताल के कारण सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी काम पर नहीं आए जिससे लेनदेन प्रभावित हुआ। इसके अलावा चेक समाशोधन और अन्य गतिविधियों पर भी असर पड़ा।
हालांकि, नई पीढ़ी के निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा।
वहीं अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने दावा किया कि इस हड़ताल का असर पूर्वी भारत में ज्यादा देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तमाम शाखाएं बंद हैं। अन्य क्षेत्रों में बैंकों की शाखाओं में अधिकारियों की मौजूदगी होने के बावजूद कर्मचारियों के अनुपस्थित होने से कामकाज प्रभावित हुआ।
इस हड़ताल में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी जैसी केंद्रीय ट्रेड यूनियनें भाग ले रही हैं।
अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की महासचिव अमरजीत कौर ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे की तरफ से बुलाई गई दो दिनों की राष्ट्रीय हड़ताल शुरू हो गई है।
उन्होंने कहा कि इस हड़ताल को झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के कोयला खनन क्षेत्रों के अलावा असम, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, पंजाब, राजस्थान, गोवा और ओडिशा के औद्योगिक क्षेत्रों से अच्छी प्रतिक्रिया देखी जा रही है।
इसके अलावा अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस (एआईएमटीसी) की कोर कमेटी के अध्यक्ष बाल मलकीत सिंह ने कहा कि अब तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार हड़ताल से माल की ढुलाई प्रभावित नहीं हुई है।
भाषा जतिन अजय
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