नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) विभिन्न क्षेत्रों की दिग्गज महिला हस्तियों के मुताबिक ज्यादातर (80 प्रतिशत) उपभोक्ता खर्च को महिलाएं प्रभावित करती हैं, और उत्पादों के विपणन का तरीका पुरुषों के पक्ष में है, जिसे बदलने तथा समावेशी बनाने की जरूरत है।
गैर-लाभकारी विपणन व्यापार निकाय एमएमए ग्लोबल के तहत आने वाले एमएमए इंडिया द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में कार्यस्थल में लैंगिक भूमिकाओं को लेकर धारणा और वास्तविकता के बीच के अंतर को खत्म करने की जरूरत पर भी जोर दिया गया।
एमएमए इंडिया द्वारा जारी बयान के मुताबिक, गूगल एशिया-प्रशांत की उपाध्यक्ष विपणन (भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया) सपना चड्ढा ने कहा, ‘‘हम जिस तरह अपने उत्पादों का विपणन करते हैं, उसे बदलने की जरूरत है, इसे समावेशी बनाने की जरूरत है। जब तक महिलाएं सर्च बार में ‘महिलाओं के लिए’ शब्द टाइप करती रहेंगी, तब तक बदलाव धीमा रहेगा।’’
उन्होंने कहा कि गूगल ने भारत में विज्ञापन और मार्केटिंग से जुड़े लगभग 30 लाख यूट्यूब वीडियो का विश्लेषण किया और पाया कि पुरुषों का प्रतिनिधित्व महिलाओं की तुलना में 1.5 गुना अधिक है, जबकि 80 प्रतिशत उपभोक्ता खर्च को महिलाएं प्रभावित करती हैं।
ईवाई की सलाहकार सेवाओं में कार्यकारी निदेशक (अफ्रीका, भारत और पश्चिम एशिया) गीतांजलि भट्टाचार्य ने इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वेतन का अंतर दूर करने में लंबा वक्त लगेगा और इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
एमएमए की कंट्री प्रमुख मोनिका खुराना ने कहा कि कार्यकारी बोर्ड में महिलाओं की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।
भाषा पाण्डेय अजय
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