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शुक्रवार, 2 मई, 2025
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साल भर में देश का सारा पारगमन कार्गो विड़िण्गम बंदरगाह पर संभाला जाएगाः करण अदाणी

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(तस्वीरों के साथ)

(बिजय कुमार सिंह)

तिरुवनंतपुरम, दो मई (भाषा) अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) के प्रबंध निदेशक करण अदाणी ने शुक्रवार को कहा कि भारत का सभी पारगमन कार्गो एक साल के भीतर विड़िण्गम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह पर संभाला जाएगा क्योंकि गहरे समुद्र की यह परियोजना इसके लिए ‘बहुत बेहतर ढंग से सक्षम है।’

पारगमन कार्गो वह माल होता है जिसे एक जहाज से उतारकर दूसरे जहाज पर लादा जाता है ताकि वह अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंच सके।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तिरुवनंतपुरम के पास स्थित विड़िण्गम बंदरगाह का उद्घाटन किया, जिसे 8,867 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूरा किया गया है। यह देश में गहरे पानी वाला पहला बंदरगाह है।

भारत के पास बड़े मालवाहक जहाज को संभालने के लिए पर्याप्त गहरे पानी के बंदरगाह नहीं होने से भारत से या भारत के लिए आने वाले अधिकांश माल को पहले कोलंबो, सिंगापुर या दुबई जैसे विदेशी बंदरगाहों पर उतारा जाता था और फिर छोटे जहाजों में लादकर भारतीय बंदरगाहों तक पहुंचाया जाता था।

फिलहाल भारत के 75 प्रतिशत पारगमन माल को बाहरी बंदरगाहों पर संभाला जाता है और भारतीय बंदरगाहों को इससे हर साल 20-22 करोड़ डॉलर तक के संभावित राजस्व का नुकसान होता है।

इस बंदरगाह परियोजना का विकास करने वाली कंपनी एपीएसईजेड के प्रमुख करण अदाणी ने संवाददाताओं से कहा, ‘विड़िण्गम बंदरगाह बहुत बेहतर ढंग से सुसज्जित है। हमें एक साल दें, फिर आप देखेंगे कि सभी भारतीय जहाजों में माल यहीं से पारगमन किया जा रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘हमारा अंतिम लक्ष्य दक्षता बढ़ाकर और इसमें लगने वाले समय को कम करके लॉजिस्टिक लागत को 30 प्रतिशत तक कम करना है।’

विड़िण्गम परियोजना का मुख्य उद्देश्य सिंगापुर, कोलंबो और दुबई के विदेशी बंदरगाहों पर वर्तमान में किए जा रहे भारतीय कार्गो पारगमन को स्वदेश लाना है। परियोजना स्थल भारत में अंतरराष्ट्रीय जहाजरानी मार्गों के सबसे निकट और सबसे गहरा स्थान है।

अदाणी ने कहा कि एपीएसईजेड संसाधनों के 90 प्रतिशत उपयोग को लक्षित कर रही है। कंपनी की अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण योजना पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी अफ्रीका क्षेत्र दिलचस्पी वाले क्षेत्र हैं।

उन्होंने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) पर पूछे गए एक सवाल पर कहा, ‘यह परियोजना वैकल्पिक जहाजरानी मार्ग बनाने का एक शानदार अवसर है।’

अदाणी ने कंपनी के लिए भारत में विस्तार के अवसर के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘हम महाराष्ट्र में वधावन बंदरगाह परियोजना को एक अवसर के रूप में देखते हैं।’

विड़िण्गम बंदरगाह बहुत बड़े आकार वाले कंटेनर जहाजों को संभालने के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ उनके आने-जाने में लगने वाले समय को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर स्वचालन प्रदान करता है।

पहले चरण में इसकी क्षमता 10 लाख कंटेनरों को संभालने की है। बाद के चरणों में अतिरिक्त 45 लाख कंटेनर क्षमता जोड़ी जाएगी।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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