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Thursday, 21 November, 2024
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भारत में महिलाओं की लगभग आधी आबादी क्यों तमिलनाडु के कारखानों की वर्कफोर्स हैं

शिक्षित और कुशल वर्कफोर्स के साथ, तमिलनाडु एक उभरता हुआ औद्योगिक क्षेत्र है जिसने ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और यहां तक कि जूते में बड़े पैमाने पर निवेश किया है.

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नई दिल्ली: इसमें हैरान होने जैसा कुछ नहीं है कि भारत का औद्योगिक राज्य तमिलनाडु, फैक्टरियों में बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार देता है, लेकिन चौंका देने वाली बात यह है कि यह उद्योग न केवल महिला वर्कफोर्स को काम पर रखते हैं, बल्कि पूरे भारत में कारखानों में काम करने वाली सभी महिलाओं में से लगभग आधी महिलाएं यहां काम करती हैं.

उद्योगों के 2021-22 के वार्षिक सर्वे के आंकड़ों से पता चला है कि भारत भर में 14.9 लाख रजिस्टर्ड महिला श्रमिकों में से 6.3 लाख — या 42 प्रतिशत तमिलनाडु की फैक्टरियों में काम कर रही हैं. उद्योगों में काम करने वाली लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में कार्यरत हैं.

पिछले 30 साल में तमिलनाडु बड़े विनिर्माण केंद्र की तरह उभरा है और कंपनियों को कारखानों में प्रवेश करने और स्थापित करने के लिए ज़रूरी सामाजिक बुनियादी ढांचा प्रदान कर रहा है. शिक्षित और कुशल वर्कफोर्स के साथ, राज्य उभरता हुआ औद्योगिक क्षेत्र है जिसने हाल के वर्षों में ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और यहां तक कि जूते में बड़े पैमाने पर निवेश किया है.

नवीनतम iPhones और Nike जैसे प्रोडक्ट अब तमिलनाडु में निर्मित किए जा रहे हैं.

और जैसे-जैसे अधिक से अधिक वैश्विक खिलाड़ी चीन+1 रणनीति के हिस्से के रूप में नए विनिर्माण स्थलों की ओर रुख कर रहे हैं, तमिलनाडु को एक आकर्षक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है — और इसकी महिला वर्कफोर्स कंपनियों की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ड्रॉ का हिस्सा है.

तमिलनाडु के उद्योग, निवेश संवर्धन और वाणिज्य मंत्री, टी.आर.बी राजा ने कहा, “ऐसे माहौल को बढ़ावा देकर जहां महिलाओं को विनिर्माण क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, तमिलनाडु न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति को बढ़ाता है बल्कि हमारे राज्य के औद्योगिक क्षेत्र की समग्र समृद्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता में भी योगदान देता है.”

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “लैंगिक समावेशिता और वर्कफोर्स में विविधता के प्रति यह प्रतिबद्धता ही तमिलनाडु को कंपनियों के लिए निवेश और संचालन के लिए सबसे आकर्षक गंतव्य के रूप में स्थापित करती है, जो एक प्रगतिशील, गतिशील और समावेशी राज्य के रूप में हमारी प्रतिष्ठा को और मजबूत करती है.”


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तमिलनाडु में अधिक कामकाजी महिलाएं

वर्कफोर्स में महिलाओं की उच्च संख्या का श्रेय राज्य के शासन के ‘द्रविड़ियन मॉडल’ को दिया जाता है, जिसका उद्देश्य मानव विकास के साथ उच्च स्तर की आर्थिक वृद्धि को जोड़ना है. राजा ने कहा, “बड़ी संख्या में महिलाओं को औद्योगिक वर्कफोर्स का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करने में तमिलनाडु की सफलता का श्रेय राज्य की प्रगतिशील राजनीति, नीतियों और सहायक पारिस्थितिकी तंत्र को दिया जा सकता है.”

उन्होंने पुधुमई पेन – स्कूली छात्राओं को स्कूल में रहने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 10,000 रुपये की मासिक सहायता — और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए राज्य के निरंतर प्रयासों को प्रदर्शित करते हुए मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन द्वारा शुरू की गई महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा जैसी महिला-केंद्रित योजनाओं को सूचीबद्ध किया.

राजा ने कहा, “विशेष रूप से महिलाओं के बीच शिक्षा और कौशल विकास पर हमारा जोर महत्वपूर्ण रहा है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण तक पहुंच सुनिश्चित करके, हमने महिलाओं को पारंपरिक रूप से पुरुषों के वर्चस्व वाली विभिन्न विनिर्माण भूमिकाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने में सक्षम बनाया है.”

अर्थशास्त्री कलैयारासन ए और विजयबास्कर एम द्वारा लिखित The Dravidian Model: Interpreting the Political Economy of Tamil Nadu किताब के अनुसार, तमिलनाडु में महिला श्रमिक भी गैर-कृषि अर्थव्यवस्था में नौकरियों की उच्च हिस्सेदारी में लगी हुई हैं. कलैयारासन एक सहायक प्रोफेसर हैं और विजयबास्कर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज में प्रोफेसर हैं. डॉ. विजयबास्कर राज्य योजना आयोग के सदस्य भी हैं.

राज्य योजना आयोग के आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु में सेवा और विनिर्माण में महिलाओं की भागीदारी बहुत अधिक है — तमिलनाडु में 64 प्रतिशत महिलाएं इस क्षेत्र में काम करती हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 43 प्रतिशत, गुजरात में 44 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 35 प्रतिशत है. कृषि श्रम में कार्यरत महिलाओं की व्यापक राष्ट्रीय प्रवृत्ति को देखते हुए, कृषि से क्षेत्रीय बदलाव महत्वपूर्ण है.

सरकार कामकाजी महिलाओं को भी समर्थन देने की कोशिश करती है — चाहे वे विनिर्माण या अन्य क्षेत्रों में हो — अपने गृहनगर से स्थानांतरित होने और अधिक महानगरीय, मोबाइल वर्कफोर्स में शामिल होने के लिए.

ऐसी ही एक पहल कामकाजी महिलाओं के लिए राज्य का थोझी छात्रावास है. अधिक महिलाओं को काम के लिए घर छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राज्य भर में विशेष रूप से औद्योगिक केंद्रों के पास, किफायती हॉस्टल हैं. कामकाजी महिलाओं के लिए विभिन्न प्रकार के कमरों और सेट-अप से पूरी तरह सुसज्जित, इन छात्रावासों का उद्देश्य महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान सुनिश्चित करना भी है — जिसे सरकार कार्यस्थल की ओर भी बढ़ाने की कोशिश कर रही है.

राजा ने कहा, “सुरक्षित और अनुकूल कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए राज्य के सक्रिय उपायों ने वर्कफोर्स में भाग लेने के लिए महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इसके अलावा, उद्योगों को लिंग-समावेशी भर्ती प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की हमारी लक्षित पहल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.”

शिक्षा रोज़गार सृजन से आगे

लेकिन एक संभावित मुद्दा शैक्षिक स्तर, रोज़गार सृजन और महिला श्रमिकों की आकांक्षाओं के बीच बेमेल है.

तमिलनाडु ने राज्य भर में शिक्षा को काफी आगे बढ़ाया है, यहां तक कि कई छात्र पोस्ट ग्रेजुएट या दो डिग्रियों के साथ वर्कफोर्स के दौरान ग्रेजुएट हो रहे हैं. अर्थशास्त्री विद्या महाम्बरे के अनुसार, 22-24 आयु वर्ग में चार में से एक महिला अभी भी पढ़ रही हैं — जिससे पता चलता है कि वे संभावित रूप से पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में नामांकित हैं.

राज्य भर में फैले उच्च स्तर के औद्योगिक फैलाव ने महिलाओं के लिए विनिर्माण रोज़गार में वृद्धि की है, उनके लिए नौकरियां पैदा की हैं जो उनके घरों से बहुत दूर नहीं हैं और उन्हें बहुत दूर पलायन करने से रोका है. महाम्बरे, जो यूनियन बैंक के अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्ष, प्रोफेसर और चेन्नई में ग्रेट लेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में निदेशक, अनुसंधान हैं, ने कहा, “लेकिन आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में बिखरी हुई कम कुशल रोज़गार सृजन नीति रखना उचित नहीं है, जहां अब उच्च शिक्षित युवा स्थानीय आबादी है.”

उन्होंने कहा, “हां, क्षेत्रीय फोकस होना चाहिए, लेकिन उन क्षेत्रों में किस तरह के उद्योग आ रहे हैं, जब स्थानीय, युवा आबादी के पास डिग्री स्तर की शिक्षा है, तो उन नौकरियों को लेने की इच्छा तय होगी. अन्यथा, आकांक्षाओं और नौकरी की गुणवत्ता में बेमेल होगा.”

इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को कारखानों में नौकरी देना टिकाऊ, दीर्घकालिक विकल्प नहीं है क्योंकि कई लोग सेवा क्षेत्र के ऑफिस में काम करना पसंद करते हैं.

फॉक्सकॉन जैसी कंपनियां, जो श्रीपेरंबुदूर में नये आईफोन का निर्माण कर रही हैं, विशेष रूप से ऐसी ग्रेजुएट महिलाओं को नौकरी देती हैं, लेकिन जब Apple प्रोडक्ट्स के निर्माण की नवीनता खत्म हो जाती है, तो कई लोग अन्य शैक्षणिक योग्यता होने पर भी इतने कम वेतन पर कठिन शारीरिक श्रम जारी नहीं रखेंगे.

महाम्बरे ने कहा, “आगे बढ़ते हुए, मुझे हैरानी है कि शिक्षा के स्तर में वृद्धि को देखते हुए विनिर्माण क्षेत्र में कितने रोज़गार स्थानीय श्रमिकों से भरे होंगे.”

उन्होंने कहा, “हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाली भारतीय महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा तमिलनाडु में है, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र राज्य में सेवाओं की तुलना में कम महिलाओं को रोज़गार देता है.”

25 से 54 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं के वर्कफोर्स को प्रमुख आयु समूह मानते हुए उन्होंने बताया कि 2022-23 में तमिलनाडु में सबसे अधिक संख्या में महिलाएं पशुपालन और मत्स्य पालन सहित कृषि में कार्यरत हैं, जो लगभग 20 प्रतिशत है. इसके बाद सेवा क्षेत्र का नंबर आता है, जिसमें इस आयु वर्ग में तमिलनाडु की कुल महिलाओं में से 18 प्रतिशत को रोज़गार मिलता है. उद्योग तीसरे स्थान पर आते हैं, जिनमें लगभग 8 प्रतिशत महिलाओं को रोज़गार मिलता है.

उन्होंने यह भी बताया कि 20 से 24 वर्ष की महिलाओं के लिए — विनिर्माण कंपनियों द्वारा पसंद किया जाने वाला आदर्श आयु समूह — वर्ष 2022-24 में कृषि में 1 प्रतिशत से भी कम कार्यरत हैं, जबकि 4 में से 1 अभी भी शिक्षा में नामांकित है, 10 में से 1 ऐसी नौकरी की तलाश में था जो उन्हें नहीं मिली. इससे पता चलता है कि युवा महिलाएं औद्योगिक क्षेत्र में काम की तलाश करेंगी, लेकिन तेज़ी से सेवा क्षेत्र में काम तलाश रही हैं और कारखानों के बजाय ऑफिस में काम करना पसंद कर रही हैं. महाम्बरे ने कहा, “पूरे भारत में, महिलाओं का औद्योगिक रोज़गार तमिलनाडु में सबसे अधिक है — जिससे पता चलता है कि अन्य राज्यों में स्थिति और भी खराब है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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