गुरुग्राम: पिछले सप्ताह जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस सितंबर में हरियाणा में सबसे अधिक महंगाई दर्ज़ की गई. इससे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार और उसके विरोधियों के बीच कीमतों में वृद्धि के कारणों को लेकर ताज़ा वाकयुद्ध शुरू हो गया है.
जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अधिकारियों का कहना है कि ये महंगाई राज्य के लोगों की खरीदने की शक्ति को दर्शाती है. सरकार के आलोचकों का कहना है कि यह केवल उसके कुप्रबंधन का सबूत है.
इस बीच, अर्थशास्त्री इस बढ़ी हुई महंगाई को खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों और हरियाणा की सप्लाई चेन नेटवर्क की खराब पहुंच को ज़िम्मेदार मानते हैं.
सितंबर 2023 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि हरियाणा में खुदरा महंगाई दर 6.49 प्रतिशत थी, जबकि राष्ट्रीय महंगाई दर 5.02 प्रतिशत थी. राजस्थान 6.53 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक महंगा राज्य था.
हरियाणा के अन्य पड़ोसी राज्यों में पंजाब में महंगाई दर 5.48 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 5.45 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश में 5.12 प्रतिशत दर्ज की गई. दिल्ली में महंगाई दर 2.24 प्रतिशत रही, जो छत्तीसगढ़ के बाद देश में दूसरी सबसे कम थी.
कीमतों पर हो रही राजनीति
कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने महंगाई के आंकड़ों पर बीजेपी-जेजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार सभी मोर्चों पर विफल साबित हुई है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “जब कांग्रेस राज्य में सत्ता में थी, तो प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश और कई अन्य क्षेत्रों में हरियाणा को पहले स्थान पर माना जाता था, लेकिन अब, यह सभी नकारात्मक चीज़ों में शीर्ष स्थान के लिए दौड़ रहा है.”
उन्होंने कहा, “आज हरियाणा बेरोज़गारी में नंबर वन है, अपराध में नंबर वन है, नशे में नंबर वन है और अब महंगाई में भी नंबर वन है.”
हालांकि, हरियाणा सरकार ने दावा किया है कि बढ़ी हुई महंगाई दर राज्य की अर्थव्यवस्था में बढ़े हुए खपत का प्रतिबिंब है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के ओएसडी जवाहर यादव ने कहा कि राज्य में महंगाई की दर अधिक है क्योंकि यहां के लोगों के पास अन्य राज्यों के तुलना में खरीदने की शक्ति अधिक है.
यादव ने दिप्रिंट से कहा, “हमारा राज्य देश में सबसे अच्छी प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में से एक है. जब लोगों के पास खाने-पीने की चीज़ें और अन्य वस्तुएं खरीदने के लिए अधिक पैसा होगा, तो इसका महंगाई दर पर असर पड़ना स्वाभाविक है.”
सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा कीमतों पर 2021-22 में हरियाणा 2.64 लाख रुपये की प्रति व्यक्ति आय के साथ सातवें स्थान पर था, जबकि 2022-23 के लिए सभी राज्यों का डेटा पूरा नहीं है, इसलिए रैंकिंग तुलना को अस्वीकार करते हुए, हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय उस वर्ष बढ़कर 2.96 लाख रुपये हो गई.
विशेष रूप से पड़ोसी दिल्ली की मौजूदा कीमतों पर 2021-22 में प्रति व्यक्ति आय 3.89 लाख रुपये थी, जो उस वर्ष हरियाणा की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक है.
हालांकि, यादव ने कहा कि हरियाणा की तुलना दिल्ली से करना कोई समझदारी भरा विचार नहीं है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में बहुत बड़ी संख्या में लोग गरीबी में रहते हैं.
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इसका कारण है खाना
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार चौहान ने कहा सामान्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की तुलना में एनएसओ डेटा के अनुसार, खाने-पीने की कीमतों में ज़बरदस्त महंगाई देखी गई है.
उन्होंने कहा, “इससे पता चलता है कि खाने-पीने की चीज़ों की कीमतें समग्र महंगाई दर की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही हैं, जिससे उपभोक्ताओं की सामर्थ्य और क्रय शक्ति पर संभावित प्रभाव पड़ रहा है.”
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रोफेसर एनके बिश्नोई ने कहा कि हरियाणा में महंगाई बढ़ाने वाली खाद्य पदार्थों की कीमतों का लगातार मुद्दा राज्य की प्राथमिकताओं से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने कहा, राजस्थान की तरह हरियाणा भी “काफी हद तक शाकाहारी राज्य” है और इस प्रकार सब्जियों, दालों और अनाजों की कीमतें अधिक हैं, जो इस पूरी महंगाई के दर में योगदान करती हैं.
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर 2023 महीने में अनाज और उत्पादों की महंगाई दर 10.95 फीसदी, दालों की 16.38 फीसदी, फलों की 7.3 फीसदी और मसालों की 23.06 फीसदी है.
हालांकि, यह पूरे भारत की घटना है और यह केवल हरियाणा तक सीमित नहीं है. यह अंतर हरियाणा की सप्लाई चेन की स्थिति में प्रतीत होता है.
हरियाणा को क्या अलग बनाता है
चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, सिरसा में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अभय सिंह गोदारा ने कहा हरियाणा के अधिकांश कस्बों में सुपरमार्केट नहीं के बराबर होना और कम शहरी क्षेत्र का होना ही महंगाई के प्रमुख कारकों में से एक है और यह सीधा प्रभाव डालता है.
गोदारा ने बताया, “गुरुग्राम, फरीदाबाद और पंचकुला को छोड़ दें तो हरियाणा में एक भी ऐसा शहर नहीं है जो शहर जैसा दिखता हो. हमारे शहरों की तुलना पंजाब के शहरों से करें और आपको अंतर दिखाई देगा.”
बिश्नोई ने भी हरियाणा की आपूर्ति श्रृंखलाओं की खराब स्थिति के आकलन से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली में महंगाई की दर बहुत कम होने का कारण इसकी सप्लाई चेन सही प्रकार से काम करना है.
गोदारा ने कहा कि ईज़ीडे और रिलायंस फ्रेश जैसे सुपरमार्केट ने हरियाणा के अधिकांश शहरों में आउटलेट खोले, लेकिन कम ग्राहक संख्या के कारण कई ने दुकानें बंद कर दीं.
गोदारा ने कहा, “छोटे शहरों में लोगों की सामान्य मानसिकता उन दुकानों और विक्रेताओं से सब्जियां और किराना सामान खरीदने की है, जहां उन्हें मोलभाव करने और उधार पर सामान प्राप्त करने की सुविधा मिलती है.”
उन्होंने कहा, एक अन्य कारक, हरियाणा में समाज की कृषि प्रकृति थी: “बहुत से लोग, विशेष रूप से कृषि पृष्ठभूमि से, उधार पर खाने-पीने की चीज़ें खरीदते रहते हैं और साल में केवल दो बार बिल का भुगतान करते हैं जब उनकी फसल बिक जाती है.”
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