नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) अमेरिकी सांसदों ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), कॉग्निजेंट और आठ अन्य प्रमुख कंपनियों से अमेरिकी कर्मचारियों की ‘बड़े पैमाने पर छंटनी’ करने के बाद हजारों एच-1बी वीजा आवेदन दायर करने के लिए पूछताछ की है।
अमेरिकी संसद की सीनेट न्यायपालिका समिति के चेयरमैन चार्ल्स ग्रासली और रैंकिंग सदस्य रिचर्ड डर्बिन ने अमेजन, एप्पल, डेलॉयट, गूगल, जेपी मॉर्गन चेज, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और वॉलमार्ट से भी पूछताछ की है।
इन कंपनियों से उनकी नियुक्ति प्रक्रियाओं के साथ-साथ एच-1बी वीजाधारकों और अमेरिकी कर्मचारियों के बीच वेतन और लाभों में किसी भी तरह के अंतर के बारे में जानकारी मांगी है।
सांसदों ने कहा कि उनकी पूछताछ ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका के तकनीकी क्षेत्र में बेरोजगारी दर समग्र बेरोजगारी दर से काफी ऊपर है।
उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व के अनुसार, एसटीईएम डिग्री वाले हाल के अमेरिकी स्नातकों को अब आम जनता की तुलना में अधिक बेरोजगारी दर का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि ग्रासली और डर्बिन एच-1बी वीजा कार्यक्रम के मुखर आलोचक रहे हैं और लगातार यह तर्क देते रहे हैं कि कई लोग अमेरिकी कामगारों की जगह विदेशों से सस्ते मज़दूरों को लाने के लिए इन वीजा का दुरुपयोग कर रहे हैं।
इन सांसदों ने कहा कि वे एच-1बी और एल-1 वीजा कार्यक्रमों में सुधार और खामियों को दूर करने के लिए द्विदलीय कानून फिर से पेश कर रहे हैं।
उन्होंने तर्क दिया कि एच-1बी और एल-1 वीजा सुधार अधिनियम अमेरिकी आव्रजन प्रणाली में धोखाधड़ी और दुरुपयोग से निपटता है, अमेरिकी कामगारों और वीजाधारकों को सुरक्षा देता है और विदेशी कामगारों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाता है।
भाषा पाण्डेय रमण
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