मुंबई, 30 अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को शहरी सहकारी बैंकों को बड़े कर्जदारों के पास फंसे कर्ज की वसूली को लेकर लगातार प्रयासरत रहने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने आधुनिक लेखांकन तौर-तरीकों के जरिये वास्तविक वित्तीय स्थिति छिपाने को लेकर बैंकों को आगाह भी किया।
आरबीआई के एक बयान के अनुसार गवर्नर ने मुंबई क्षेत्र के चुनिंदा बड़े शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के निदेशकों का एक सम्मेलन बुलाया था। इसमें तमाम बिंदुओं पर चर्चा की गई।
दास ने कर्ज जोखिम प्रबंधन में बैंकों के निदेशक मंडल की भागीदारी को जरूरी बताया। कर्ज जोखिम प्रबंधन में मजबूत जोखिम मानक, प्रभावी निगरानी, समय पर शिनाख्त, फंसे कर्ज की प्रभावी वसूली के लिए बड़े कर्जदारों के मामले में निरंतर प्रयास करने और एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति या फंसा कर्ज) को लेकर पर्याप्त प्रावधान बनाए रखना शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने अपने दायरे में आने वाली वित्तीय संस्थानों के निदेशकों के साथ बातचीत शुरू की है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों के साथ मई 2023 में दो अलग-अलग सम्मेलन आयोजित किए गए थे।
बयान के अनुसार, ‘‘आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्तीय विवरणों में ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में निदेशकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने वास्तविक वित्तीय स्थिति को छिपाने के लिए आधुनिक लेखांकन प्रथाओं के उपयोग को लेकर आगाह भी किया।’’
दास ने निदेशक मंडलों से परिसंपत्ति देनदारी प्रबंधन में अधिक सक्रिय होने और तरलता जोखिम को अधिक व्यवस्थित तरीके से प्रबंधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि एक मजबूत आईटी और साइबर सुरक्षा बुनियादी ढांचे की स्थापना और बैंक स्तर पर अपेक्षित कौशल की उपलब्धता में निदेशक मंडल की भूमिका महत्वपूर्ण है।
सम्मेलन में डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव और स्वामीनाथन जे के साथ-साथ रिजर्व बैंक के पर्यवेक्षण, विनियमन और प्रवर्तन विभागों का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्यकारी निदेशकों और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
भाषा राजेश राजेश रमण प्रेम
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