नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने मंगलवार को कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व कार्यकारी निदेशक के वी सुब्रमण्यम की करीब 7.25 करोड़ रुपये मूल्य की लगभग दो लाख पुस्तकों की खरीद में अनियमितताओं की जांच कर रहा है।
सरकार ने आईएमएफ में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल का कार्यकारी निदेशक के तौर पर प्रतिनिधित्व कर रहे सुब्रमण्यम की सेवाएं कार्यकाल पूरा होने से छह माह पहले 30 अप्रैल, 2025 से समाप्त कर दी थीं।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि उसने ‘इंडियाएट100: एनविज़निंग टुमॉरोज़ इकनॉमिक पावरहाउस’ नामक पुस्तक की थोक खरीद में खामियों की जांच शुरू कर दी है।
यूनियन बैंक इंडिया ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा, “बैंक ने उक्त खरीद कर ली है। हालांकि, खरीद में कुछ खामियां थीं, जिनकी बैंक द्वारा जांच की जा रही है।”
इस बीच, कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि सरकार ने ‘अनुचितता’ के कारण सुब्रमण्यम को अचानक पद से हटा दिया। साथ ही कांग्रेस ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा उनकी पुस्तक की दो लाख प्रतियों के लिए कथित तौर पर ऑर्डर दिए जाने पर ‘सार्वजनिक धन की बर्बादी’ का सवाल उठाया।
विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया कि इस ‘स्पष्ट प्रचार’ की लागत सरकारी खजाने से वहन की गई और ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सुब्रमण्यम ने सरकार की हर ‘आर्थिक भूल और दोषपूर्ण नीति को उचित ठहराया’।
सूत्रों के अनुसार, सुब्रमण्यम की नवीनतम पुस्तक के प्रचार-प्रसार से संबंधित ‘कथित अनियमितता’ पर चिंता जताई गई।
आरोप है कि सुब्रमण्यम ने अपनी आधिकारिक स्थिति का इस्तेमाल करके कुछ संस्थानों पर अपनी पुस्तक खरीदने के लिए दबाव डाला।
सुब्रमण्यम को एक नवंबर, 2022 से तीन साल की अवधि के लिए आईएमएफ में कार्यकारी निदेशक (भारत) के रूप में नियुक्त किया गया था।
इससे पहले, उन्होंने सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया।
भाषा अनुराग अजय
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