नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व से भविष्य की प्रौद्योगिकियों में प्रचलित सामाजिक पूर्वाग्रहों के कायम रहने का जोखिम है।
माइक्रोसॉफ्ट भारत और दक्षिण एशिया की मुख्य भागीदार अधिकारी हिमानी अग्रवाल ने यह आशंका जाहिर की।
उनका मानना है कि समावेशन एक साझा जिम्मेदारी है और यदि एआई को विविध दृष्टिकोणों के बिना आकार दिया जाता रहा, तो आज के पूर्वाग्रह कल की प्रौद्योगिकी में शामिल हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, ”यह केवल एक संख्या की समस्या नहीं है। यह उस भविष्य के बारे में है, जिसे हम बना रहे हैं। यदि एआई दुनिया को आकार दे रही है, तो एआई को आकार देने वाले लोगों को भी दुनिया की विविधता के अनुरूप होना चाहिए।”
अग्रवाल ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो आज के पूर्वाग्रह कल की तकनीक में जड़ जमा सकते हैं।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ”इसलिए हमें जल्दी शुरू करने की जरूरत है – युवा लड़कियों में जिज्ञासा जगाना, मार्गदर्शक तंत्र को मजबूत करना और यह सुनिश्चित करना कि महिलाओं के पास एआई को आगे बढ़ाने के लिए कौशल और नेतृत्व के अवसर हों।”
यह चिंता विशेष रूप से प्रासंगिक है, क्योंकि एआई स्वास्थ्य सेवा और वित्त से लेकर शिक्षा और रोजगार तक, जीवन के विभिन्न पहलुओं को तेजी से आकार दे रहा है।
मुख्य रूप से मौजूदा सामाजिक असंतुलन को दर्शाने वाले आंकड़ों पर प्रशिक्षित एक एआई उन्हीं असंतुलनों को कायम रख सकता है, जिससे पूर्वाग्रह का चक्र बन सकता है।
उन्होंने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यबल में महिलाओं की संख्या 31.6 प्रतिशत है, और कंपनी बेहतर समावेशन की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है।
भाषा पाण्डेय
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