मुंबई, 28 फरवरी (भाषा) रूस के यूक्रेन पर हमले का भारत पर शुरुआती प्रभाव मुद्रास्फीतिक दबाव के रूप में आने की आशंका है। इसका कारण देश की आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता है।
रेटिग एजेंसी इक्रा ने सोमवार को यह कहा। उसने कहा कि तेल एवं गैस तथा लौह तथा अलौह धातु जैसे क्षेत्रों को इस प्रवृत्ति से लाभ हो सकता है। वहीं जो क्षेत्र तेल पर निर्भर हैं, उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इन क्षेत्रों में रसायन, उर्वरक, रिफाइनिंग और विपणन शामिल हैं।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, यह देखने वाली बात है कि लड़ाई कबतक चलती है और यूरोप के दूसरे भागों में फैलती है या नहीं है।
उसने कहा कि रूस ईंधन, रसायन और धातु का सबसे बड़ा निर्यातक है। जी-7 के ज्यादातर देशों ने रूस पर पाबंदी लगाने की घोषणा की है। इसके जरिये ऊर्जा को छोड़कर व्यापार को सीमित करने का लक्ष्य है।
इक्रा की मुख्य अर्थशस्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘भू-राजनीतिक तनाव का वृहत प्रभाव कच्चे तेल के दाम में तेजी से पड़ेगा क्योंकि भारत के व्यापार में रूस की कोई बड़ी हिस्सेदारी नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के दाम में तेजी के बावजूद 2022 में अबतक रुपया सीमित दायरे में रहा। लेकिन आने वाले समय में वैश्विक धारणा कमजोर होने के साथ अमेरिकी डॉलर में मजबूती घरेलू रुपये पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
इक्रा के अनुसार, रूस की व्यापार में हिस्सेदारी केवल एक प्रतिशत है। व्यापार मुख्य रूप से जिंसों में है।
मुख्य रूप से धातु और प्राकृतिक गैस की वजह से जिंसों के दाम अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गये हैं। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई हैं। इससे जिंस आधारित मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ा है।
भाषा रमण अजय
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