मुंबई, 22 फरवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि रूस-यूक्रेन संकट और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी भारत में वित्तीय स्थिरता के लिये चुनौती है। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी मुस्तैदी से स्थिति पर नजर रखे हुए है।
सीतारमण बजट बाद बैठकों के लिये दो दिन के दौरे पर सोमवार को मुंबई आयीं थी। उन्होंने इस दौरान वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की 25वीं बैठक की अध्यक्षता की और बैंक, एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) के प्रमुखों के साथ बैठक की। बाद में वह वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों से भी मिली।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एफएसडीसी की आज हुई बैठक में भी हमने उन चुनौतियों पर गौर किया जिससे वित्तीय स्थिरता को खतरा है। कच्चा तेल उनमें से एक है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हालात चिंताजनक है। हमने यूक्रेन में विकसित हो रहे हालात के लिये राजनयिक समाधान को लेकर आवाज उठायी है। ये सभी चुनौतियां हैं।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार कच्चे तेल के दाम और भू-राजनीतिक स्थिति पर पूरी मुस्तैदी के साथ नजर रखे हुए है।
पूर्वी यूक्रेन में अलगावादियों के प्रभुत्व वाले दो राज्यों को रूस द्वारा मान्यता दिये जाने के बाद कच्चे तेल की कीमत करीब चार प्रतिशत बढ़कर 99 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गयी।
रूस-यूक्रेन संकट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर तनाव से व्यापार पर अभी असर नहीं पड़ा है लेकिन सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है। हम इस बात को लेकर सतर्क हैं कि निर्यातकों पर इन सबका असर नहीं पड़े।’’
सीतारमण ने यह भी कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर राज्यों और केंद्र के बीच रिश्ते में कोई खटास जैसी बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद ने निर्णय किया है कि क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह मार्च, 2026 तक जारी रहेगा।
मंत्री ने कहा, ‘‘इसे उस रकम के भुगतान के लिये बढ़ाया गया है जिसे 2020 में राजस्व संग्रह में अंतर को पूरा करने को लेकर क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाना है। साथ ही इसका उपयोग उधार ली गयी राशि पर ब्याज भुगतान में किया जाएगा।’’
देश के सरकारी बांड को वैश्विक बांड सूचकांक में शामिल करने के बारे में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने कहा, ‘‘वैश्विक सूचकांकों में सरकारी बांड, रुपया बांड को शामिल करने के लिए आवश्यक सभी शर्तें पूरी की गई हैं। कराधान के मुद्दों को लाया गया है। इन सबको लेकर बातचीत अभी भी जारी है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.9 प्रतिशत पर कायम रखने को प्रतिबद्ध है।
एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि सरकार शेयर बाजार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में संचालन स्तर पर चूक मामले को देख रही है। हालांकि, उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया कि क्या चूक को लेकर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई के संदर्भ में पर्याप्त सुधारात्मक कदम उठाये गये हैं।
एलआईसी के आईपीओ के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को लेकर बाजार में काफी रुचि और चर्चा है। उन्होंने संकेत दिया कि आईपीओ चालू वित्त वर्ष में ही आएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘अब जब डीआरएचपी (एलआईसी आईपीओ के लिये विवरण पुस्तिका) आ गया है, तो बाजार में इसको लेकर रुचि और चर्चा है। मुझे खुशी है कि इसे जिस तरह से तैयार किया गया है, उसमें शेयरधारकों की भी भूमिका है। जिस तरह से इसे तैयार किया गया है, उसने बहुत रुचि पैदा की है। हम इसको लेकर आगे बढ़ेंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या आईपीओ चालू वित्त वर्ष में आएगा, सीतारमण ने कहा, ‘‘डीआरएचपी दो साल पहले तो जारी नहीं हुआ है…।’’
भाषा
रमण अजय
अजय
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