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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशअर्थजगतनोटबंदी के दो साल: मनमोहन ने कहा, समय के साथ नोटबंदी के घाव नासूर बन गए हैं

नोटबंदी के दो साल: मनमोहन ने कहा, समय के साथ नोटबंदी के घाव नासूर बन गए हैं

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पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, छोटे और मंझोले धंधे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं जिसे नोटबंदी ने पूरी तरह से तोड़ दिया.

नई दिल्ली: नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर कांग्रेस हमलावर दिखी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी मोदी सरकार पर करारा प्रहार किया है. उन्होंने इसे ‘बीमार सोच’ वाला और खराब कदम करार दिया है.

उन्होंने कहा, ‘आज उस बिना सोचे समझे नोटबंदी के फैसले की दूसरी सालगिरह है, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में लिया था. भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज पर इस फैसले से हुई तबाही अब सबके सामने है. नोटबंदी का असर हर व्यक्ति को, चाहे किसी उम्र, धर्म, व्यवसाय या जाति का हो, झेलना पड़ा है.’

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अकसर कहा जाता है कि समय घावों को भर देता हैं पर समय के साथ नोटबंदी के घाव नासूर बन गये हैं. नोटबंदी के बाद जीडीपी के तेज़ी से लुड़कने के पीछे देखें तो नोटबंदी के इस निर्णय के गहरे आयाम अब भी उभर कर आ रहे है. छोटे और मझौले उद्यम जोकि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार हैं अभी तक नोटबंदी के झटके से उबर नहीं पाए है. इसका सीधा असर रोज़गार पर हुआ है, जहां अर्थव्यवस्था युवाओं के लिए नौकरियों का सृजन करने में अक्षम नज़र आती है. वित्त बाज़ार अस्थिर हैं क्योंकि नोटबंदी से जो धनसंकट पैदा हुआ उसका असर ढांचागत क्षेत्र में दानकर्ताओं और ग़ैर बैंकिग वित्त सेवा कंपनियों पर पड़ रहा है. अभी तक नोटबंदी के पूरे असर से हम नावाकिफ है. अब जब मुद्रा विनिमय झेल रही है और विश्व बाज़ार में तेल की कीमतें बढ़ रहीं हैं, इसका अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर नज़र आने वाला है.’

मनमोहन सिंह ने आगे कहा, ‘ इसलिए अब ये ज़रूरी है कि किसी भी तरह का ग़ैर पारंपरिक, छोटे समय के लिए ऐसे कोई भी आर्थिक कदम न उठाएं जाएं जोकि अर्थव्यवस्था और वित्त बाज़ार में अनिश्चितता की स्थिति पैदा करें. आज का दिन ये बात याद करने के लिए है कि कैसे एक गलत आर्थिक निर्णय देश को लंबे समय के लिए तकलीफ में डाल सकता है और ये समझने की ज़रूरत है कि आर्थिक नीति निर्माण को सोच और समझदारी से साथ करना चाहिए.’

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