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Wednesday, 20 November, 2024
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सांख्यिकी कमीशन के सदस्य ने कहा, रोजगार डेटा पर कुंडली मारकर बैठी है सरकार

राष्ट्रीय सांख्यिकी कमिशन के दो स्वतंत्र सदस्य पीसी मोहनन और जेवी लक्ष्मी ने ये कह कर सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया कि मोदी सरकार रोजगार, जीडीपी, नियम-कायदे हर चीज में उन्हें नजरंदाज कर रही है.

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नई दिल्ली: नरेन्द्र मोदी सरकार ने कम से कम चार मामलों में, पिछले एक साल में राष्ट्रीय सांख्यिकी कमीशन से सलाह मशविरा नहीं किया या फिर उसकी अनदेखी की. उनसे नौकरी के डाटा की नवीनतम रिपोर्ट साझा नहीं की गई, जिसके कारण मजबूर होकर कमीशन के दो स्वतंत्र सदस्यों ने सोमवार को अपना त्यागपत्र सौंप दिया था.

सूत्रों का कहना है कि सरकार का ये कदम मौजूदा तौर तरीकों और गाइडलाइन का उल्लंघन है, जिनको सालों से निभाया गया है. एनएससी के केवल दो स्वतंत्र सदस्य कमीशन के कार्यकारी चेयरमैन पीसी मोहनन और सेवानिवृत्त करिअर सांख्यविद और दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स की प्रोफेसर जेवी मीनाक्षी ने कमीशन को अप्रभावी बनाने वाले फैसले का विरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया है.

मोहनन ने दिप्रिंट को बताया कि केवल एक या दो मुद्दे नहीं हैं. मंत्रालय द्वारा कमीशन के कई अन्य दूसरे मुद्दों की भी अनदेखी की गई. हमें लगा कि कमीशन अप्रभावी हो चुका है.

रोज़गार के आंकड़े

सदस्यों पर ताज़ा हमला नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के रोज़गार और बेरोज़गारी की 2017-18 के वित्त वर्ष की रिपोर्ट को लेकर था, जिसको सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने रोक रखा है. सुत्रों के अनुसार ये रिपोर्ट नवम्बर 2016 में उच्च मूल्य के नोटों को बंद करने के ठीक बाद नौकरियों के खात्मे पर प्रकाश डालने वाली थी.

एनएससी एनएसएसओ की रिपोर्ट पर पूरी तकनीकी निगरानी रखती है और पिछले महीने इसने रिपोर्ट स्वीकृत कर मंत्रालय के पास जारी करने के लिए भेज दिया था.

पहले के उदाहरण

नवम्बर 2018 में जीडीपी बैक सीरीज पद्धति को मंत्रालय ने सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग के जरिये जारी किया था और एनएससी को अंधेरे में रखा गया था. एनएससी आंकड़ों को स्वीकृत नहीं करती, लेकिन एनएससी की सलाहकार समिति इस पद्धति को स्वीकृत करती है. बैक सीरीज डाटा ने कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के कार्यकाल की वृद्धि संख्या को बहुत ज़्यादा नीचे की तरफ रिवाइज़ कर दिया था.

आंकड़े बताते हैं कि 31 मार्च 2018 तक एनडीए के कार्याकाल की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था 31 मार्च 2014 के यूपीए सरकार के कार्यकाल के 9 साल में औसतन 6.67 प्रतिशत की दर से बढ़ी. जो कि 31 मार्च 2018 तक के चार सालों के एनडीए के कार्यकाल के 7.35 प्रतिशत से कम थी.

उन्होंने कहा ऐसा करके सरकार ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फिनान्स और पॉलिसी के प्रोफेसर, एनएससी प्रमुख एनआर भानुमूर्ति की अध्य़क्षता वाली सब कमेटी की रिपोर्ट की अवहेलना की है. कमीशन के बैक सीरीज आकलन ने दिखाया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था यूपीए के कार्यकाल में ज़्यादा तेज़ी से बढ़ी. इस दौरान वृद्धि दर दो अंको में रही. यह 2007-8 में 10.23 और 2010-11 में 10.78 थी.

मई के आखिर में मंत्रालय ने कमीशन से सलाह लिए बिना, सांख्यिकी की राष्ट्रीय नीति के आधिकारिक आंकड़ों का ड्राफ्ट जारी कर दिया. मोहनन ने आगे कहा कि मंत्रालय की अपनी गाइडलाइन के बावजूद एनएससी को किसी भी गणना और सर्वे शुरू करने को स्वीकृत करना पड़ता है. मंत्रालय ने पिछले साल में एक बड़े आर्थिक गणना की कवायद की शुरुआत बिना कमीशन से सलाह लिए शुरू कर दी थी.

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