औरंगाबाद, 24 जुलाई (भाषा) कोरोनावायरस का प्रकोप फैलने के बाद देश भर में लॉकडाउन लगने के साथ दो पुराने दोस्तों आकाश म्हास्के और आदित्य कीर्तने का करियर भी संकट में पड़ गया था।
आकाश और आदित्य इंजीनियर के तौर पर एक कंपनी में काम कर रहे थे कि कोविड महामारी ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। लॉकडाउन का पहला महीना तो उन्होंने फिल्में देखकर गुजार लिया था लेकिन बंदी की स्थिति जारी रहने पर उनकी नौकरी ही चली गई।
औरंगाबाद के आसपास अनेक औद्योगिक इकाइयां हैं और दोनों किसी अन्य कंपनी में अपनी किस्मत आजमा सकते थे। लेकिन उन्होंने नौकरियों के लिए आवेदन करने के बजाय खुद का काम शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने सफल कारोबारी बनने के गुर बताने वाली कुछ किताबें पढ़ने के बाद इस दिशा में अपना इरादा पक्का कर लिया। लेकिन वे यह नहीं सोच पा रहे थे कि काम क्या करें।
शुरुआत एक स्थानीय विश्वविद्यालय में मांस और पॉल्ट्री प्रसंस्करण पर व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से हुई। इसके साथ उन्होंने मांस के असंगठित बाजार में घुसने का मन बनाया। दोनों को शुरू में उनके परिवारों से पूरा समर्थन भी नहीं मिला।
आदित्य ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमारे परिवारों को शुरू में लगा कि हम जिस तरह का काम कर रहे हैं उसमें कोई अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहेगा। लेकिन बाद में हमारे परिवार के लोग साथ में खड़े रहे।’’
उन्होंने 100 वर्गफुट क्षेत्र में अपने दोस्तों की मदद से जमा किए गए 25,000 रुपये के फंड से ‘एपेटाइटी’ नामक कंपनी शुरू की जिसका एक महीने का कारोबार अब चार लाख रुपये महीने से ज्यादा हो चुका है।
दोनों का कारोबार धीरे-धीरे बढ़ने लगा था। इसी दौरान शहर की ही एक कंपनी फैबी कॉर्पोरेशन की नजर उन पर पड़ गयी।
फैबी ने हाल ही में एपेटाइटी की बहुलांश हिस्सेदारी 10 करोड़ रुपये में खरीद ली है। हालांकि आदित्य और आकाश कुछ हिस्सेदारी के साथ अब भी इसके साथ जुड़े रहेंगे।
फैबी के निदेशक फहाद सैयद ने कहा कि सौदे के बाद ‘एपेटाइटी’ ब्रांड बरकार रहेगा और इसके बैनर तले ही नये उत्पाद पेश किए जाएंगे।
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