कोलकाता, एक अगस्त (भाषा) दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत आ चुकी श्रेई समूह की कंपनियों ने नकद राशि प्राप्त करने के साथ कुछ फंसे खातों (एनपीए) के मामलों को सुलझाया है। इससे कंपनी को 5,000 करोड़ रुपये के मामलों को सुलझाने में मदद मिली है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नियुक्त प्रशासक के संकट में फंसी कंपनियों के मामले को देखने के बाद यह स्थिति बनी है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
कर्ज में फंसी श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लि. (एसआईएफएल) और श्रेई इक्विपमेंट फाइनेंस लि. (एसईएफएल) के अधिग्रहण के लिये वित्तीय बोली जमा करने की अंतिम तिथि 10 अगस्त हैं। ऐसे में नकद प्राप्ति और एनपीए (गैर-निष्पादित परिसपंत्ति) खातों में सुधार महत्वपूर्ण है।
सूत्रों ने कहा कि लेन-देन से संबंधित ऑडिटर अपनी अंतिम रिपोर्ट छह अगस्त तक दे सकते है।
उसने कहा कि बोली जमा करने की अंतिम तिथि पहले बढ़ायी गयी थी। इसका कारण सौदा सलाहकार की रिपोर्ट का न होना तथा धन की हेराफेरी को लेकर लेन-देन की जटिलताएं थी।
मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि शुरू में 14 दावेदार थे, जिन्होंने मार्च में दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता के तहत श्रेई समूह की कंपनियों के अधिग्रहण के लिए रुचि पत्र जमा किये थे।
लेकिन, अब केवल विदेशी बोलीदाताओं…न्यूयॉर्क स्थित एरेना इन्वेस्टर्स एलपी लिमिटेड, वर्दे इन्वेस्टमेंट से संबद्ध वीएफएसआई होल्डिंग्स और शोन रंधावा और उनके भागीदार… के वित्तीय बोली में भाग लेने की उम्मीद है।
रिजर्व बैंक ने पिछले साल अक्टूबर में एसआईएफएल और उसकी पूर्ण अनुषंगी एसईएफएल के निदेशक मंडल को भंग कर दिया था।
बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व महाप्रबंधक रजनीश शर्मा को संकट में फंसी कंपनियों के मामलों को देखने के लिये प्रशासक नियुक्त किया गया था।
आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अक्टूबर, 2021 के बाद से कुल 1,900 से अधिक नकदी प्राप्त हुई है। साथ ही दोनों कंपनियों के 3,000 करोड़ रुपये के फंसे खातों को दूसरी श्रेणी में रखा गया है। इससे कंपनी का एनपीए कम हुआ है और इससे मूल्यांकन बढ़ेगा।’’
सूत्रों ने कहा, ‘‘कंपनियों के करीब 1,000 कर्मचारियों को निकाला नहीं गया है लेकिन अनावश्यक खर्चों को 30 करोड़ रुपये महीने से कम कर 12 करोड़ रुपये मासिक पर लाया गया है।’’
भाषा
रमण अजय
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