कोलकाता, चार जनवरी (भाषा) लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने जूट मिल श्रमिकों के लिए त्रिपक्षीय वेतन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
उन्होंने कहा कि यह समझौता, जिस पर बुधवार को हस्ताक्षर किए गए, पश्चिम बंगाल में 113 जूट मिलों के तीन लाख से अधिक श्रमिकों को फायदा पहुंचाएगा। इसमें हाल के वर्षों में राज्य में आई लगभग 50 नई जूट मिलें भी शामिल हैं।
समझौते का उद्देश्य श्रमिकों के वेतन और लाभ में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि आखिरी बार इस तरह के समझौते पर 2019 में हस्ताक्षर किए गए थे।
भारतीय जूट मिल संघ (आईजेएमए), मिल मालिकों जो आईजेएमए का हिस्सा नहीं हैं और 23 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के बीच समझौते पर राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
अधिकारियों ने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए मंत्री की उपस्थिति में कई बैठकें आयोजित की गईं।
समझौते का स्वागत करते हुए आईजेएमए के पूर्व अध्यक्ष संजय कजरिया ने कहा कि सभी जूट मिलों को हस्ताक्षरकर्ता के रूप में लाने से प्रतिस्पर्धा के समान अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने कहा कि सरकारी आपूर्ति में गैर-आईजेएमए जूट मिलों का योगदान बढ़कर 11 प्रतिशत हो गया है।
समझौते के अनुसार, प्रवेश स्तर का दैनिक वेतन 370 रुपये से बढ़ाकर 485 रुपये तय किया गया है।
नए कर्मचारियों के लिए सकल मासिक वेतन 14,066 रुपये होगा, जो पिछले वेतन ढांचे की तुलना में लगभग 3,562 रुपये की बढ़ोतरी है।
अधिकारियों ने कहा कि इससे नए कर्मचारी के लिए सीटीसी में कुल 4,550 रुपये की बढ़ोतरी होगी, मौजूदा कर्मचारियों को अब 16,718 रुपये से 553 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 17,271 रुपये मिलेंगे।
वर्ष 2019 में काम पर रखे गए कर्मचारियों को अब 586 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 14,132 रुपये मिलेंगे, जबकि वर्ष 2002 के कर्मचारियों का मासिक वेतन 627 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 15,837 रुपये हो जाएगा।
इसके अतिरिक्त, संयुक्त मिलों के सभी मौजूदा श्रमिकों को तदर्थ वेतन के रूप में 130 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे।
सभी प्रकार के श्रमिकों के लिए आवास भत्ता पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
सबसे अनुभवी श्रमिकों के लिए दैनिक उपस्थिति बोनस बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है, जबकि नए कर्मचारियों को 15 रुपये मिलेंगे।
भाषा राजेश राजेश अजय
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