नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) दूरसंचार नियामक ट्राई ने उपग्रह संचार सेवाओं के संबंध में सरकार को सौंपी गई अपनी सिफारिशों की किसी भी समीक्षा से इनकार किया है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने पिछले हफ्ते एक पत्र में कहा था कि ट्राई के सुझाव गलत धारणाओं पर आधारित हैं और उन्हें लागू करने से स्थलीय दूरसंचार सेवाओं को नुकसान होगा।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से जुड़े सूत्रों ने पीटीआई-भाषा से कहा कि व्यापक परामर्श प्रक्रिया और पारदर्शिता के बाद उपग्रह संचार के बारे में सुझाव पहले ही सरकार को सौंपे जा चुके हैं।
सूत्रों ने कहा कि नियामक ने परामर्श के दौरान सभी हितधारकों को पर्याप्त अवसर दिया था। ऐसे में दूरसंचार कंपनियों की प्रतिक्रिया के आधार पर इन सुझावों की समीक्षा का सवाल ही नहीं खड़ा होता है।
सीओएआई ने 29 मई को लिखे पत्र में दूरसंचार विभाग से ट्राई के सुझावों की विस्तृत समीक्षा करने का अनुरोध किया है। उसने खास तौर पर स्थलीय संचार और उपग्रह संचार कंपनियों को समान अवसर दिए जाने का मुद्दा उठाया है।
दूरसंचार नियामक ने पिछले महीने सुझाव दिया था कि स्टारलिंक जैसी उपग्रह संचार कंपनियों को अपने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का चार प्रतिशत स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में सरकार को देना होगा।
शहरी क्षेत्रों में उपग्रह आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं देने वाली कंपनियों को प्रति ग्राहक सालाना 500 रुपये अतिरिक्त शुल्क देना होगा जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क लागू नहीं होगा।
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प्रेम अजय
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