नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) सोने की कीमतों के नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के बीच इसके लिए एक व्यापक नीति की आवश्यकता है क्योंकि भारत दुनिया के सबसे बड़े सर्राफा बाजारों में से एक है जो इस पीली धातु के प्रति सांस्कृतिक लगाव व निवेश मांग से प्रभावित है। बुधवार को जारी एक अध्ययन में यह बात कही गई।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक अनुसंधान विभाग द्वारा जारी ‘कमिंग ऑफ (ए टर्बुलेंट) एज: द ग्रेट ग्लोबल गोल्ड रश’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक अनिश्चितता और कमजोर अमेरिकी डॉलर के कारण सोने की कीमत नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है।
वर्ष 2025 में अब तक की कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। अक्टूबर में कुछ दिन के लिए कीमतें 4,000 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गईं लेकिन नवंबर में फिर से 4,000 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस से पार चली गईं।
रिपोर्ट कहती है कि सोने की घरेलू आपूर्ति भारत में कुल सोने की आपूर्ति का केवल एक अंश है। विश्व स्वर्ण परिषद के अनुमान के अनुसार, 2024 में कुल आपूर्ति में आयात का योगदान लगभग 86 प्रतिशत होगा।
इसमें कहा गया कि भारत सबसे बड़े स्वर्ण बाजारों में से एक है जो सोने के प्रति सांस्कृतिक आकर्षण, निवेश की मांग और मुद्रास्फीति से बचाव तथा सुरक्षित निवेश सहित अन्य आर्थिक कारकों से प्रभावित है।
भारत में सोने की कुल उपभोक्ता मांग 2024 में बढ़कर 802.8 टन हो गई जो वैश्विक स्वर्ण मांग का 26 प्रतिशत है। इससे भारत, चीन के बाद दूसरे स्थान पर आ गया। चीन की उपभोक्ता मांग 815.4 टन थी।
एसबीआई अध्ययन में कहा गया कि चीन की सोने पर एक राष्ट्रीय नीति है, जिसका एक विशिष्ट उद्देश्य है। यह अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य में सोने के व्यापार, भंडारण, मूल्यांकन और उपयोग के तरीके को नया रूप देने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण रखता है। यह कई आर्थिक एवं भू-राजनीतिक प्राथमिकताओं को एक साथ संबोधित करने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका और जर्मनी जैसे देश अपने कुल भंडार का 77 प्रतिशत से अधिक सोने के रूप में रखते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2025-26 (10 अक्टूबर तक) में अपने भंडार का 15.2 प्रतिशत सोना रखा जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में यह 13.8 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2023-24 में 9.1 प्रतिशत था।
आरक्षित निधि में परिवर्तन के संदर्भ में, आरबीआई के स्वर्ण भंडार में वित्त वर्ष 2024-25 में 25 अरब अमेरिकी डॉलर और वित्त वर्ष 2026 में 10 अक्टूबर 2025 तक 27 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है जिसका मुख्य कारण मूल्यांकन में वृद्धि है।
मात्रा के संदर्भ में केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 (अप्रैल-सितंबर) में केवल 0.6 टन सोना जोड़ा, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-सितंबर) में यह 31.5 टन था।
भारत में सोने का खनन सीमित है, जिससे आयात पर निर्भरता बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 1,627 किलोग्राम सोने का खनन हुआ।
भाषा निहारिका अजय
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