scorecardresearch
शनिवार, 3 मई, 2025
होमदेशअर्थजगतजवाबी शुल्क हैरान करने वाला, भारत पर पड़ सकता है कुछ प्रतिकूल असर : कौशिक बसु

जवाबी शुल्क हैरान करने वाला, भारत पर पड़ सकता है कुछ प्रतिकूल असर : कौशिक बसु

Text Size:

(बिजय कुमार सिंह)

नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने ट्रंप प्रशासन की तरफ से करीब 60 देशों पर जवाबी सीमा शुल्क लगाए जाने को हैरान करने वाला कदम बताते हुए कहा है कि इससे भारत पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इसका बड़ा असर खुद अमेरिका में महसूस किया जाएगा।

बसु ने रविवार को पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘वास्तव में यह ट्रंप प्रशासन के दावे के उलट जवाबी शुल्क नहीं है। यह भारत के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे पर आधारित है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत पर 26 प्रतिशत का नया अमेरिकी शुल्क हैरान करने वाला है। हालांकि, इसका भारत पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इसका बड़ा नकारात्मक प्रभाव अमेरिका पर पड़ेगा।’’

कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत बसु ने कहा कि अमेरिका जैसे देश के लिए, जिसकी मुद्रा पर दुनिया भर में भरोसा किया जाता है और जिसका इस्तेमाल किया जाता है, व्यापार घाटा होना स्वाभाविक है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यह नई शुल्क नीति अमेरिकी डॉलर में विश्वास को खत्म करने के प्रयास की तरह दिखती है।’’

इसके साथ ही बसु ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिकी आयात पर शुल्क बढ़ाकर या घटाकर इसका जवाब नहीं देना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत को वही करना चाहिए जो यूरोप, कनाडा और चीन कर रहे हैं, यानी आपस में व्यापार बढ़ाने की कोशिश करना।’’

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘‘यह नए व्यापार समझौतों का समय है।’’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जवाबी शुल्क का भारत की मुद्रास्फीति पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, इसका तत्काल प्रभाव कीमतों में गिरावट हो सकता है क्योंकि अमेरिका को निर्यात करने में कठिनाई से अल्पावधि में कुछ अतिरिक्त सामान बचा रह सकता है।’’

उन्होंने कहा कि यदि भारत, अमेरिका पर शुल्क बढ़ाकर जवाब देता है, जैसा कि चीन ने अभी किया है, तो इससे आयातित वस्तुओं की कीमत बढ़ सकती है और यह पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है जो महंगाई बढ़ाने का काम करेगा।

इस संकट को भारत के लिए अवसर में बदल पाने की संभावना पर बसु ने कहा कि यह वास्तव में भारत के लिए एक अवसर हो सकता है, लेकिन ऐसा तुरंत नहीं होगा।

दुनिया के अधिकांश देशों की तरह भारत पर भी इसका तात्कालिक प्रभाव नकारात्मक होने की आशंका जताते हुए बसु ने कहा कि अमेरिका दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था है, और इस तरह की नीतिगत गलती दुनियाभर में नकारात्मक झटके उत्पन्न करेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी देश इससे अछूता नहीं रहेगा। लेकिन, अगर अमेरिका इन नीतियों पर कायम रहता है और अपनी अर्थव्यवस्था के चारों ओर शुल्क की दीवार खड़ी करता है, तो उसकी वृद्धि धीमी पड़ जाएगी।’’

बसु ने कहा कि अन्य देशों के लिए यह एक- दूसरे के साथ व्यापार बढ़ाने का अवसर होगा। उन्होंने कहा, ‘‘खासकर भारत और चीन जैसे बड़े देशों के लिए यह वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है।’’

उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच व्यापार में विस्तार की भी गुंजाइश होगी। उन्होंने कहा कि भारत पहले ही प्रौद्योगिकी और दवा क्षेत्रों में अगुवा है।

बसु ने कहा, अब, जब अमेरिका वैश्विक क्षेत्र से पीछे हट रहा है, तो इस तरह की पहल भारत के लिए वृद्धि का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकती है।

उन्होंने कहा कि यह सब लंबी अवधि से मध्यम अवधि के लिए है। बसु ने कहा कि तत्काल अवधि में भारत के लिए सलाह है कि वह अपनी ‘सीट बेल्ट’ लगाए रखे।

भाषा अजय अजय प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments