(ललित के झा)
(तस्वीरों के साथ)
वाशिंगटन, 12 अक्टूबर (भाषा) ऊंची महंगाई और वृद्धि की रफ्तार मंद पड़ने जैसी चुनौतियों के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि भारत का अगला आम बजट बहुत ही ध्यान से कुछ इस प्रकार बनाना होगा जिससे देश की वृद्धि की रफ्तार कायम रहे और दाम भी काबू में रहें। उन्होंने कहा कि इससे मुद्रास्फीतिक चिंताओं से निपटने में भी मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि निकट भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था के समक्ष सबसे बड़ी समस्याओं में ऊर्जा के ऊंचे दाम शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए वाशिंगटन डीसी आईं वित्त मंत्री ने यहां ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूट में जानेमाने अर्थशास्त्री ईश्वर प्रसाद से संवाद के दौरान एक सवाल के जवाब में यह कहा। उनसे अगले वर्ष के बजट को लेकर सवाल पूछा गया था।
सीतारमण ने कहा, ‘‘आगामी बजट के बारे में कुछ विशेष बता पाना अभी जल्दबाजी होगा और यह मुश्किल भी है। लेकिन मोटे तौर पर कहें तो वृद्धि की प्राथमिकताएं सबसे ऊपर रहेंगी। मुद्रास्फीति की चिंताओं से भी निपटना होगा। लेकिन फिर सवाल उठेगा कि आप वृद्धि को किस प्रकार बरकरार रखेंगे।’’
फरवरी में पेश किए जाने वाले बजट के लिए तैयारियां दिसंबर से शुरू हो जाती हैं।
दरअसल सभी संस्थागत एवं निजी अनुमान लगाने वालों ने 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के अपने अनुमानों को घटाया है। इसके पीछे वजह मौद्रिक नीति सख्त होने से मांग में घटना और वैश्विक मंदी है।
उन्होंने कहा, ‘‘यही तो देखना है कि इनके बीच संतुलन कैसे बनाया जाए, यह सुनिश्चित किया जाए कि महामारी से उबरकर भारतीय अर्थव्यवस्था ने जो गति पाई है वह अगले साल भी कायम रहे।’’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए इस बजट को बहुत ही ध्यानपूर्वक कुछ इस तरह बनाना होगा कि वृद्धि की गति बरकरार रह सके।’’
भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि को जो गति मिली वह अब मंद पड़ती दिख रही है जो औद्योगिक उत्पादन एवं निर्यात में कमी आने से नजर आता है। वहीं मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह प्रतिशत की संतोषजनक सीमा से ऊपर ही बनी हुई है जिसे काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक को दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ी है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि के अनुमान को पिछले महीने 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया था। अन्य रेटिंग एजेंसियों ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाया है।
सीतारमण ने कहा कि ऊर्जा, उर्वरक और भोजन संबंधी वैश्विक दबाव जो भारत को प्रभावित करते हैं उन पर ध्यानपूर्वक नजर रखी जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इनका असर लोगों तक न पहुंचे।
एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि सरकार ऐसे स्टार्टअप से बात करने के लिए तैयार है जो देश से जाने पर विचार कर रहे हैं और उनके मुद्दों का समाधान इस तरह निकालने का प्रयास करेगी जिससे कि उन्हें देश में ही अपना आधार बनाए रखने में मदद मिले। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं स्टार्टअप इकाइयों से संवाद किया है और सरकारी नीतियों की वजह से अनुकूल माहौल बना है जिसके परिणामस्वरूप आज भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। यूनिकॉर्न से आशय एक अरब डॉलर से अधिक के मूल्यांकन से है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री और स्टार्टअप के बीच संवाद करवाया है, यह पता लगाने के लिए कि वे भारत से क्या चाहते हैं। हमने उनकी चिंताओं का समाधान करने का अधिकाधिक प्रयास किया है। यही वजह है कि 2020 से 2021 के बीच महज एक साल में यूनिकॉर्न की संख्या 100 पर पहुंच गई है।’’
भाषा मानसी अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.