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सोमवार, 26 मई, 2025
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सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा बनेगा

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लेह/जम्मू, 26 मई (भाषा) केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में समुद्र तल से लगभग 13,000 फुट ऊपर स्थित न्योमा में भारत का सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र खरीफ फसल मौसम के लिए किसानों को ज्ञान और उपकरणों से सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा बनेगा।

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ नामक यह अभियान, 29 मई को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के समन्वय में 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से शुरू किया जाएगा।

लद्दाख प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित केंद्र केवीके न्योमा, बृहस्पतिवार से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा।’’

अधिकारी ने कहा कि खरीफ फसल मौसम के लिए किसानों को जानकारियों और उपकरणों से सशक्त बनाने के उद्देश्य से यह अभियान ‘‘भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 29 मई से 12 जून तक चलाया जाएगा।’’

अभियान को सभी 731 केवीके द्वारा 113 आईसीएआर अनुसंधान संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों और संबंधित राज्य कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन विभागों के समन्वय से लागू किया जाएगा।

अधिकारी ने कहा, ‘‘2,000 से अधिक वैज्ञानिक संगठन इसका हिस्सा होंगे। प्रत्येक जिले में तीन समर्पित टीमें बनाई जाएंगी, जिनमें से प्रत्येक में 4-5 सदस्य होंगे। इनमें विषय विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, सरकारी अधिकारी और प्रगतिशील या नवोन्मेषी किसान शामिल होंगे।’’

ये टीमें प्रत्येक जिले में प्रतिदिन तीन ग्राम पंचायतों का दौरा करेंगी और प्रतिदिन लगभग 100-200 किसानों से सीधे संवाद करेंगी। अधिकारी ने कहा, ‘‘अभियान के दौरान, अनुमान है कि देश भर में 1.3 करोड़ से अधिक किसान सीधे तौर पर जुड़ेंगे।’’

आईसीएआर, भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सहयोग से इस अभियान की शुरुआत करेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जो टिकाऊ और लागत प्रभावी हैं।’’

किसानों को उन्नत बीज किस्मों, फसल-विशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं, एकीकृत पोषक तत्व और कीट प्रबंधन और उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने की तकनीकों के बारे में जानकारी मिलेगी। अधिकारी ने कहा कि किसानों को पशुधन प्रबंधन में आधुनिक तकनीकों के बारे में भी शिक्षित किया जाएगा, जिसमें चारा पद्धति, रोग नियंत्रण, नस्ल सुधार और चारा उत्पादन शामिल हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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