मुंबई, 13 मार्च (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि वह तत्काल लाभ की तलाश में जोखिम भरे वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) खंड में खुदरा निवेशकों की भागीदारी से ‘चिंतित’ हैं।
नागेश्वरन ने पूंजी बाजार नियामक सेबी और एनआईएसएम की तरफ से आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि टिकाऊ पूंजी निर्माण और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के लिए सबसे बड़ा खतरा निवेशकों के नजरिये में ‘अल्पकालिकता’ का होना है और देश इस समय इस प्रवृत्ति की चपेट में है।
उन्होंने बैंकों को बढ़ावा देने के लिए कॉरपोरेट समूहों को अनुमति देने पर हर बार होने वाले ‘हंगामे’ पर अफसोस जताते हुए कहा कि भारतीय उद्योग जगत को कंपनी संचालन गतिविधियों की स्थिति पर विचार करने और अपने आचरण का विश्लेषण करने की जरूरत है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘टिकाऊ पूंजी निर्माण और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के लिए सबसे बड़ा जोखिम हमारी अल्पकालिक सोच है।’
नागेश्वरन ने कहा कि अब भी लोग एफएंडओ कारोबार की मात्रा में शानदार वृद्धि का जिक्र कर रहे हैं जबकि खुद सेबी के अध्ययन बताते हैं कि जोखिम वाले इस खंड में 90 प्रतिशत कारोबार में निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक पूंजी निर्माण और वृद्धि जैसे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण की जगह अपना नजरिया बदलने की जरूरत है।
सीईए ने कहा कि एफएंडओ खंड में कारोबार के पीछे त्वरित लाभ की मंशा होती है लेकिन छोटे निवेशकों का बढ़ता जोखिम चिंता की बात है क्योंकि बार-बार तेजी और मंदी के चक्र से नहीं गुजरना चाहता है।
इसके साथ ही नागेश्वरन ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। यह लगातार तीसरा साल होगा जब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) सात प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ेगी।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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