नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के फैसले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने के उच्चतम न्यायालय के आदेश को वापस लेने के लिए दायर अर्जी को ‘वापस’ ले लिया है।
उच्चतम न्यायालय ने 18 नवंबर, 2021 को सीबीआई को एचजेडएल हिस्सेदारी बिक्री मामले की जांच के लिए एक नियमित वाद दायर करने और कानून के हिसाब से आगे बढ़ने का निर्देश दिया था। सरकार ने वर्ष 2002 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचजेडएल में अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी थी।
न्यायालय के इस निर्देश को वापस लेने की मांग करने वाली एक अर्जी सरकार ने दाखिल की थी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने सोमवार को सरकार की इस अर्जी को वापस लेने संबंधी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के निवेदन को स्वीकार कर लिया। मेहता ने कहा कि सरकार इस आदेश की समीक्षा समेत अन्य कानूनी विकल्पों का सहारा लेने पर गौर करेगी।
इसके बाद न्यायालय ने इस अर्जी को ‘वापस लिया गया’ बताते हुए खारिज कर दिया। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘यह याचिका वापस लेने की अर्जी है। आप कह रहे हैं कि न्यायालय ने नियमित वाद दायर करने के लिए पर्याप्त सामग्री देखी लेकिन अब मैं आपके समक्ष यह स्थापित करुंगा कि एक नियमित मामले के पंजीकरण की कोई समुचित सामग्री नहीं है। असल में आप इस मामले को विरोधाभासी बता रहे हैं? यह अर्जी वापस लेने का आधार नहीं बन सकता है।’’
मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सीबीआई की तरफ से पेश किए गए बुनियादी तथ्य तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। इसके साथ ही उन्होंने याचिका वापस लेने की अर्जी को ‘जरूरी, न्यायोचित और विचार-योग्य’ बताया।
इस पर न्यायालय ने कहा, ‘‘सॉलिसिटर जनरल को याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाती है। वह इस मामले में आदेश की समीक्षा और अन्य कानूनी विकल्प अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं।’’
भाषा
प्रेम अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.