नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में सभी चार श्रम संहिताओं को अधिसूचित कर दिया। इस प्रमुख सुधार के जरिये 29 मौजूदा श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाया गया है।
इसमें गिग यानी अल्पकालिक अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज, सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य नियुक्ति पत्र और सभी क्षेत्रों में वैधानिक न्यूनतम मजदूरी तथा समय पर भुगतान जैसे प्रावधान शामिल हैं।
साथ ही लंबे कार्य घंटे, व्यापक निश्चित अवधि के रोजगार और नियोक्ता-अनुकूल छंटनी नियमों की अनुमति भी है जिसकी श्रमिक संगठनों ने आलोचना की है।
ये चार श्रम संहिताएं – वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 तथा व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता, 2020 हैं। इन्हें पांच साल पहले संसद ने पास किया था।
चार संहिताओं में 29 श्रम कानून शामिल किए गए हैं। वेतन संहिता में चार, सामाजिक सुरक्षा संहिता में नौ, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता में 13 और औद्योगिक संबंध संहिता में तीन कानूनों को मिलाया गया है।
हालांकि, श्रमिक संगठनों ने छंटनी संबंधी अस्पष्ट प्रावधानों और केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वयन के दौरान संभावित मनमाने व्यवहार को लेकर इन संहिताओं की आलोचना की है।
श्रम संहिताओं में बंदी, छंटनी या लागत कटौती के लिए अनिवार्य सरकारी अनुमति की सीमा बढ़ा दी गई है। मौजूदा प्रावधान में 100 या अधिक श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को सरकारी अनुमति की जरूरत थी। अब नई संहिता में यह सीमा 300 श्रमिकों तक बढ़ा दी गई है।
इसके अलावा, फैक्टरियों में काम के घंटे नौ से बढ़ाकर 12 घंटे और दुकानों तथा प्रतिष्ठानों में नौ घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिए गए हैं।
देश के 10 मजदूर संगठनों के एक संयुक्त मंच ने गए श्रम सुधारों की निंदा की है और इस कदम को कर्मचारी विरोधी बताते हुए कहा कि यह नियोक्ताओं का समर्थन करता है। दूसरी ओर भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने इन सुधारों का स्वागत किया और इन्हें लंबे समय से प्रतीक्षित कदम बताया है।
संयुक्त मंच ने कहा, ”चार श्रम संहिताओं की यह मनमानी और अलोकतांत्रिक अधिसूचना सभी लोकतांत्रिक लोकाचारों का उल्लंघन करती है।”
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने एक अलग बयान में कहा कि ये चार श्रम संहिताएं श्रमिक बाजार की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं।
अब इन संहिताओं के आधार पर नियम बनाने होंगे। चूंकि श्रम समवर्ती सूची का विषय है, इसलिए केंद्र और राज्य दोनों को कानून एवं नियम बनाने होंगे। पश्चिम बंगाल को छोड़कर अधिकांश राज्यों ने पिछले कुछ वर्षों में श्रम कानूनों से संबंधित बदलाव कर लिए हैं।
सुधारों में महिलाओं के लिए विस्तारित अधिकार और सुरक्षा शामिल हैं। इनमें रात की पाली में काम, 40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों के लिए मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच, खतरनाक प्रक्रिया इकाइयों सहित पूरे भारत में ईएसआईसी कवरेज और एकल पंजीकरण, लाइसेंस प्रणाली शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि ये संहिताएं ”हमारे लोगों, विशेष रूप से नारी शक्ति और युवा शक्ति के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम और समय पर मजदूरी भुगतान, सुरक्षित कार्यस्थल तथा लाभकारी अवसरों की मजबूत नींव का काम करेंगी।”
उन्होंने कहा, ”यह श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाला तथा भारत की आर्थिक वृद्धि को मजबूत करने वाला भविष्य के लिए तैयार परिवेश बनाएगा। ये सुधार रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगे, उत्पादकता को गति देंगे तथा विकसित भारत की हमारी यात्रा को तेज करेंगे।”
मोदी ने कहा, ”यह आजादी के बाद से अब तक के सबसे व्यापक और प्रगतिशील श्रम-उन्मुख सुधारों में से एक है। यह हमारे श्रमिकों को बहुत अधिक सशक्त बनाता है। यह अनुपालन को काफी सरल भी बनाता है तथा ‘कारोबारी सुगमता’ को बढ़ावा देता है।”
श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”चारों श्रम संहिताओं को अधिसूचित कर दिया गया है और अब ये देश का कानून हैं।”
उन्होंने कहा कि श्रम संहिताएं रोजगार को संगठित रूप देंगी, श्रमिक संरक्षण को मजबूत करेंगी तथा श्रम परिवेश को सरल, सुरक्षित और वैश्विक गतिविधियों के अनुरूप बनाएंगी।
अतिरिक्त व्यवस्थागत सुधारों में राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी, स्त्री-पुरूष का अंतर किए बिना कार्य नीतियां, सहायक अनुपालन के लिए इंस्पेक्टर-सह-सुविधाकर्ता मॉडल, दो-सदस्यीय न्यायाधिकरण के जरिये तेजी से विवाद समाधान और राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य (ओएसएच) बोर्ड शामिल हैं।
सरकार अब विस्तृत नियम और योजनाएं बनाने के लिए परामर्श शुरू करेगी। इस बीच जहां जरूरी होगा, मौजूदा श्रम कानूनों के प्रावधान लागू रहेंगे।
सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2015 में 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 64 प्रतिशत से अधिक हो चुका है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि श्रम नियमन को आधुनिक बनाकर, श्रमिकों के कल्याण को बढ़ाकर तथा श्रम परिवेश को बदलते कार्य जगत के साथ जोड़कर यह कदम भविष्य के लिए तैयार कार्यबल और मजबूत उद्योगों की नींव रखता है।
बयान में कहा गया कि इससे आत्मनिर्भर भारत के लिए श्रम सुधारों को गति मिलेगी। मंत्रालय ने कहा कि भारत के कई श्रम कानून आजादी से पहले और आजादी के शुरुआती दौर (1930 से 1950 के दशक तक) में बनाए गए थे। उस समय अर्थव्यवस्था और कामकाज के परिवेश बहुत अलग थे।
बयान में कहा गया कि अधिकांश बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने हाल के दशकों में अपने श्रम नियमन को समय के अनुसार बदला है, लेकिन भारत 29 केंद्रीय श्रम कानूनों में बिखरे हुए खंडित, जटिल और पुराने प्रावधानों के साथ काम रहा था।
मांडविया ने एक्स पर लिखा, ”मोदी सरकार की गारंटी: हर श्रमिक को सम्मान! आज से देश में नई श्रम संहिताएं प्रभावी कर दी गई हैं।”
मंत्री ने कहा कि संहिताएं सभी श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी देंगी, युवाओं को नियुक्ति पत्र, महिलाओं को समान वेतन और सम्मान, 40 करोड़ श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, एक साल रोजगार के बाद तय अवधि वाले कर्मचारियों को ग्रेच्युटी, 40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों को मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच, ओवरटाइम के लिए दोगुना वेतन, खतरनाक क्षेत्रों में श्रमिकों को 100 प्रतिशत स्वास्थ्य सुरक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार श्रमिकों को सामाजिक न्याय देंगी।
उन्होंने कहा, ”ये सुधार साधारण बदलाव नहीं हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कार्यबल के कल्याण के लिए उठाया गया बड़ा कदम हैं। ये सुधार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं तथा 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को गति देंगे।”
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत गिग कर्मचारियों समेत सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। सभी श्रमिकों को पीएफ, ईएसआईसी, बीमा तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे।
वेतन संहिता, 2019 के तहत सभी श्रमिकों को वैधानिक न्यूनतम मजदूरी मिलेगी। न्यूनतम मजदूरी तथा समय पर भुगतान वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
ईएसआईसी प्रसार और लाभ पूरे भारत में विस्तारित – 10 से कम कर्मचारियों वाली इकाइयों के लिए स्वैच्छिक तथा खतरनाक प्रक्रियाओं में शामिल इकाइयों के लिए अनिवार्य होंगे। अब एक तय अवधि के लिए नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों (एफटीई) को स्थायी श्रमिकों के समान सभी लाभ मिलेंगे, जिनमें अवकाश, चिकित्सा तथा सामाजिक सुरक्षा शामिल हैं।
इन संहिताओं में पहली बार ‘गिग कार्य’, ‘मंच कार्य (जोमैटो, स्विगी जैसी कंपनियों के लिए काम करने वाले) तथा ‘एग्रीगेटर्स’ को परिभाषित किया गया है। पौधरोपण श्रमिकों को ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता तथा सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत लाया जाएगा।
डिजिटल तथा ध्वनि-दृश्य श्रमिक अब पूर्ण लाभों के हकदार होंगे। इनमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार, डबिंग कलाकार तथा स्टंट करने वाले शामिल हैं।
भाषा पाण्डेय रमण
रमण
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