नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) सरकार को घरेलू उत्पादकों को प्रोत्साहित करने तथा चीन से होने वाले आयात को नियंत्रित करने को लेकर दवा क्षेत्र के लिये अलग मंत्रालय बनाना चाहिए। क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों पर औषधि कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) की गोलमेज बैठक में यह राय जाहिर की गयी।
सीपीएचआई और पीएमईसी इंडिया के 15वें सत्र में कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों की मंगलवार को हुई गोलमेज बैठक में घरेलू उद्योग के ध्यान को मात्रा की जगह मूल्य पर स्थानांतरित करने के तरीकों पर भी चर्चा की गयी।
आरपीजी लाइफ साइंस और फर्मेन्टा बॉयोटेक के सीईओ समेत अन्य कंपनी प्रमुखों ने प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिये चीन पर निर्भरता में कमी लाने की जरूरत भी बतायी।
दवा बनाने वाली कंपनियों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ फार्मास्युटिकल प्रोड्यूसर्स ऑफ इंडिया (ओपीपीआई) के महानिदेशक विवेक सहगल ने कहा कि उद्योग को आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) से संबंधित मुद्दों पर मिलकर काम करने और एकजुट होने की जरूरत है।
बैठक में कंपनी प्रमुखों ने सरकार के समक्ष दवा उद्योग से जुड़े मामलों और शिकायतों को रखने के लिये एकल उद्योग संगठन बनाने पर भी चर्चा की।
बैठक में मुख्य कार्यपालक अधिकारियों ने कहा कि सरकार को घरेलू उत्पादकों को प्रोत्साहित करने तथा चीन से होने वाले आयात को नियंत्रित करने को लेकर दवा क्षेत्र के लिये अलग मंत्रालय बनाने चाहिए।
भाषा
रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.