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Friday, 20 December, 2024
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2,000 रुपये के करेंसी नोट की शुरुआत और अंत—सरकारी भ्रम और विरोधाभासों की कहानी

RBI के आंकड़ों से पता चलता है कि उच्च मूल्यवर्ग के नोट, जालसाजी के खिलाफ सुरक्षा उपायों के लिए बनाए गए थे, वो नकली थे. काले धन के खिलाफ उपाय के तहत लाया गया, यह नोट अब ‘नकदी जमा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है’.

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुक्रवार की घोषणा कि 2,000 रुपये के नोट को बंद कर दिया जाएगा, ने भारत में वर्तमान में मौजूद उच्चतम मूल्यवर्ग के नोट की अक्सर-भ्रमित करने वाली कहानी को समाप्त कर दिया है.

आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट—जो उस समय प्रचलन में करेंसी का 86 प्रतिशत हिस्सा थे—अब चलन में नहीं रहेंगे. इसका एक बड़ा कारण इन उच्च-मूल्य वाले नोटों का उपयोग करके काले धन की कथित जमाखोरी थी.

हालांकि, इस घोषणा के कुछ दिनों बाद, सरकार ने एक और उच्च मूल्यवर्ग का नोट जारी किया—यानी 2,000 रुपये का करेंसी नोट. यह नोट न केवल एक नए आकार में था, जिसका अर्थ है कि देश के सभी एटीएम को फिर से कैलिब्रेट (तैयार) किया जाना था, बल्कि इसके उच्च मूल्यवर्ग को विमुद्रीकरण के मूल उद्देश्य के विपरीत देखा गया था.

दरअसल, 2,000 रुपये के नोट को बंद करने के आरबीआई के फैसले के एक दिन बाद पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी. सुब्रमण्यन ने शनिवार को ट्विटर पर इस फैसले की प्रशंसा की क्योंकि इस मूल्यवर्ग में कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी जमा की जा रही थी.

भ्रम की स्थिति यह थी कि सरकार ने दावा किया था कि 2,000 रुपये के नोट में सुरक्षा विशेषताएं हैं जो जालसाजी को रोकेंगी. हालांकि, RBI के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2020 तक, 2,000 रुपये के नोट मूल्य के हिसाब से सभी नकली नोटों का 45 प्रतिशत से अधिक थे.

हालांकि, यह आंकड़ा अब कम हो गया है, लेकिन मार्च 2022 तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, यह 33 प्रतिशत था.

इन सबके बीच नोटबंदी के तुरंत बाद तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि 1,000 रुपये का नया नोट “उचित समय” पर जारी किया जाएगा. चार महीने बाद, फरवरी 2017 में उन्होंने कहा कि सरकार की 1,000 रुपये के नोट पेश करने की कोई योजना नहीं है.

संसद में दिए गए जवाबों और पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा की गई तथ्य जांच से यह स्पष्ट होता है कि सरकार को यह भी यकीन नहीं है कि आरबीआई ने 2,000 रुपये के नोट की छपाई कब बंद कर दी. जबकि तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मार्च 2020 में लोकसभा को सूचित किया था कि 2019-20 में छपाई बंद हो गई थी, आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि उसने 2018-19 में उन्हें छापना बंद कर दिया था.

भ्रम यहीं खत्म नहीं होता. जैसा कि सुब्रमण्यम ने खुद बताया है, आरबीआई ने अभी तक आधिकारिक तौर पर यह नहीं कहा है कि क्या 2,000 रुपये के नोट 30 सितंबर, 2023 के बाद वैध रहेंगे या नहीं—वह समय सीमा जिसके बाद बैंक नोट स्वीकार नहीं किए जाएंगे.

दिप्रिंट आपके लिए 2,000 रुपये के नोट के शुरू होने और खत्म होने की विस्तृत समयरेखा लेकर आया है:

Graphic: Manisha Yadav | ThePrint
चित्रणः मनीषा यादव/दिप्रिंट

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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