मुंबई, सात अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को प्रौद्योगिकी का उपयोग जनहित में करने की वकालत की। साथ ही उन्होंने वैश्विक स्तर पर हुई प्रगति को ‘हथियार बनाने’ पर निराशा जतायी।
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर वित्तीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी है जिसने नवोन्मेष, पैमाने और समावेश के मानक स्थापित किए हैं।
सीतारमण ने यहां वार्षिक ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट’ में कहा, ‘‘…सीधा मकसद यह है कि यह (प्रौद्योगिकी) जनता की भलाई के लिए होनी चाहिए। किसी भी समय इसका हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें स्वयं को यह बताते रहने की जरूत है कि प्रौद्योगिकी पर पूरी तरह से महारत हासिल नहीं की जा सकती और इसके कुछ हिस्से पर कुछ स्वामित्व एवं अधिकार प्राप्त करने के बाद …हमें इसे हथियार बनाने से बचना चाहिए।’’
सीतारमण ने कहा कि हमने लगातार देखा है प्रौद्योगिकी प्रगति के साथ-साथ लोग आत्मकेंद्रित सोच अपना रहे हैं।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ वैश्विक प्रगति के विचार पर ही सवाल उठ रहे हैं क्योंकि इसे हथियार बनाया जा रहा है।’’
उन्होंने हालांकि इस बारे में विस्तार से नहीं बताया और न ही अपनी टिप्पणी के संबंध में कोई विशिष्ट उदाहरण दिया।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कई देशों ने ऐसे कदम उठाए हैं जिनके परिणामस्वरूप व्यापार एवं नवाचारों पर प्रतिबंध लगे हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी महाशक्ति अमेरिका ने अपनी व्यापार नीतियों में बड़े बदलाव किए हैं।
गौरतलब है कि भारत इस समय अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगाने के साथ ही एच1बी वीजा शुल्क में भारी वृद्धि की है। एच1बी वीजा का उपयोग बड़े पैमाने पर भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के कर्मचारी करते हैं।
भाषा निहारिका रमण
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