नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) इंडसइंड बैंक ने कहा है कि मार्च, 2020 से अक्टूबर, 2021 के बीच उसकी सूक्ष्म वित्त अनुषंगी बीएफआईएल द्वारा ग्राहकों की मंजूरी के बगैर उनको ऋण का वितरण किया जाना ‘‘तकनीकी खामी’’ की वजह से हुआ था और यह तथ्य ऑडिट कंपनी डेलॉयट की जांच में सामने आया है। बैंक ने अपने कर्मचारियों की जवाबदेही का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन भी किया है।
इंडसइंड बैंक ने मंगलवार देर रात को शेयर बाजार को यह जानकारी दी।
बैंक ने कहा कि डेलॉयट ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है जिसके मुताबिक ग्राहकों की मंजूरी के बगैर ऋण वितरण होने का कारण ‘‘तकनीकी खामी’’ है।
यह मामला इंडसइंड बैंक की अनुषंगी भारत फाइनेंशियल इन्क्लूजन लिमिटेड (बीएफआईएल) द्वारा मार्च, 2020 से अक्टूबर, 2021 के बीच ग्राहकों की मंजूरी लिए बगैर उन्हें सूक्ष्म वित्त ऋण के वितरण के आरोपों से जुड़ा है।
बैंक ने कहा कि आईटी परिवर्तन प्रबंधन और प्रक्रिया में अंतर के परिणामस्वरूप यह दिक्कत आई थी। उसने कहा, ‘‘निदेशक मंडल ने एक समिति का गठन किया है जो कर्मचारियों की जवाबदेही का आकलन करेगी। ’’
शिकायत मिलने पर बैंक ने तुरंत ही आंतरिक ऑडिट, आईटी ऑडिट करवाने जैसे कदम उठाए। इसके बाद उसने स्वतंत्र समीक्षा का जिम्मा डेलॉयट टच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी (डेलॉयट) को सौंपा।
बैंक ने कहा कि डेलॉयट ने सात मार्च, 2022 को अंतिम रिपोर्ट सौंपी और इस रिपोर्ट के निष्कर्षों और आकलन के आधार पर बैंक के निदेशक मंडल ने पाया कि ग्राहकों की मंजूरी के बगैर कर्ज वितरण तकनीकी गड़बड़ी की वजह से हुआ था।
नवंबर में बैंक ने यह माना था कि बीएफआईएल ने ग्राहकों की मंजूरी के बगैर 84,000 कर्ज का वितरण किया है, हालांकि उसने ‘व्हिसलब्लोअर’ संबंधी आरोपों को बेबुनियाद बताया था।
भाषा मानसी अजय
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