कोलकाता, चार अप्रैल (भाषा) चाय अनुसंधान संघ (टीआरए) ने शुक्रवार को असम और पश्चिम बंगाल में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले ग्रीनफ्लाई कीटों के हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दो वर्षों में एक बड़ा खतरा बनकर उभरा है।
चाय उद्योग के शोध एवं विकास के लिए स्थापित संस्थान टीआरए ने कहा कि पौधों का रस चूसने वाले कीट ने चाय की पौध को बिना बारिश वाले समय में काफी नुकसान पहुंचाया है। इससे कुछ क्षेत्रों में उपज 55 प्रतिशत तक घट गई है।
टीआरए के सचिव जयदीप फुकन ने कहा, ‘ये संक्रमण मई से जुलाई की दूसरी अवधि में खासकर नुकसानदेह होते हैं। यह वह समय होता है जब चाय बागान इस चरण के दौरान उत्पादित फसल की उच्च गुणवत्ता और मांग के कारण अपने वार्षिक राजस्व का 30 प्रतिशत से अधिक कमाते हैं।’
फुकन ने कहा, ‘‘इसके अलावा, संवर्द्धित या अधिक आक्रामक ग्रीनफ्लाई प्रारूप के संभावित आक्रमण के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं, खासकर यह समस्या अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पास स्थित चाय बागानों में है।’’
चाय बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पी के बेजबरुआ ने कहा कि ग्रीनफ्लाई पूर्वोत्तर में चाय बागानों के लिए खतरा बन गई है, खासकर दूसरे तोड़ाई मौसम की गुणवत्ता अवधि के दौरान यह समस्या है।
बेजबरुआ ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में अधिकारियों से इस समस्या पर ध्यान देने का अनुरोध किया।
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