नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय उन दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए मंगलवार को राजी हो गया जिनमें आरोप लगाया गया है कि कुछ कंपनियां चीन जैसे देशों को लौह अयस्क का पेलेट (छर्रे) के रूप में निर्यात करते हुए कथित तौर पर कर चोरी कर रही हैं। न्यायालय इन याचिकाओं पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा।
इस विषय पर जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एम एल शर्मा ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ से अनुरोध किया कि इस याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है क्योंकि यह कुछ निर्यातक कंपनियों द्वारा कर की लगातार चोरी से संबंधित है।
शर्मा ने कहा, ‘‘तस्करी लगातार चल रही है। प्रतिदिन लौह अयस्क का निर्यात किया जा रहा है। यह 1,000 करोड़ रुपये तक है।’’ इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इस याचिका को अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
शर्मा के अलावा एक गैर-सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ ने भी इस विषय पर एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें मांग की गई है कि या तो यह निर्यात रोका जाए या फिर लौह अयस्क के छर्रे समेत सभी रूपों में निर्यात पर 30 प्रतिशत का कर लगाया जाए।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी, 2021 को शर्मा की याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया था। याचिका में चीन को 2015 से लौह अयस्क का पेलेट के रूप में निर्यात कर कथित तौर पर कर चोरी करने वाली कंपनियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने की अपील की गई थी। इसके बाद में 24 सितंबर को न्यायालय ने कॉमन कॉज द्वारा दायर इसी तरह की याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था।
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