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Monday, 18 November, 2024
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झारखंड विधानसभा में भाजपा के हंगामे के बीच 3,436 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पारित

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रांची, दो अगस्त (भाषा) झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भारी हंगामे और उसके चार विधायकों के निलंबन के बीच 3,436 करोड़ रुपये की प्रथम अनुपूरक बजट मांगें ध्वनिमत से पारित हो गयी।

झारखंड सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 3,436 करोड़ रुपये की प्रथम अनुपूरक बजट मांगें विधानसभा में मंजूरी के लिए रखी थीं। आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कटौती प्रस्ताव रखा लेकिन विधानसभा ने उसे खारिज करते हुए अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित कर दिया।

इसके पहले भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगाते हुए सदन के भीतर और बाहर जमकर प्रदर्शन और नारेबाजी की। उसके विधायकों ने अनुपूरक बजट पर चर्चा के बीच सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर सदन से बहिर्गमन किया।

अनुपूरक बजट पर भोजनावकाश के बाद हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि यह अनुपूरक बजट राज्य के हित में है। मूल बजट के समय कई चीजें छूट जाती हैं जिसे अनुपूरक बजट के माध्यम से पूरा किया जाता है।

अनुपूरक बजट में ऊर्जा विभाग के लिए 188.28 करोड़ रुपये, स्थापना मद में 556 करोड़ रुपये, नगर विकास के लिए 127.60 करोड़ रुपये, योजना मद में 1436 करोड़ रुपये, केंद्रीय योजनाओं पर 197 करोड़ रुपये, केंद्र-प्रायोजित योजना में राज्य के अंशदान के लिए 1,006 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

उरांव ने कहा कि अनुपूरक बजट में पंचायतीराज विभाग के लिए 624 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जबकि स्वास्थ्य विभाग के लिए 465 करोड़ रुपये रखा गया है।

अनुपूरक बजट के विधानसभा में ध्वनिमत से पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

इसके पहले प्रश्नकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा कर रहे अपने चार विधायकों को निलंबित किये जाने के बाद भाजपा विधायकों ने जमकर प्रदर्शन किया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सदस्य की तरह काम करने का आरोप लगाया जिस पर कार्रवाई करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने हंगामा कर रहे भाजपा के दो विधायकों को मार्शल से उठवाकर सदन के बाहर करवा दिया।

इसके पहले विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा के चार विधायकों को तीन दिनों के लिए सदन से निलंबित कर दिया था। ये विधायक सोरेन सरकार के भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के आरोप लगाते हुए प्रश्नकाल के दौरान सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। उनके निलंबन के बाद अनुपूरक बजट मांग पर चर्चा के बीच भाजपा विधायकों ने सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

अध्यक्ष के आसन के समक्ष आकर विरोध कर रहे भाजपा विधायक अमर कुमार बाउड़ी रिपोर्टिंग टेबल पर चढ़ गये। उनके साथ मनीष जयसवाल भी राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। फिर विधानसभा अध्यक्ष ने इन दोनों विधायकों को मार्शल से जबरन सदन से बाहर करवा दिया।

मार्शल ने जब दोनों विधायकों को सदन से बाहर निकाला तो बाकी भाजपा विधायक और भी उग्र हो गये और उन्होंने सदन में जमकर नारेबाजी एवं प्रदर्शन किया।

सदन से बाहर निकाले गए विधायक मनीष जयसवाल ने कहा, ‘‘विधानसभा अध्यक्ष का यह आचरण सत्ताधारी झामुमो के सदस्य की तरह है। ऐसा नहीं होना चाहिए।’’

विधानसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे प्रारंभ होते ही भाजपा विधायकों ने सोरेन सरकार के कथित तौर पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया और अध्यक्ष के आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे। ये विधायक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इस्तीफा मांग रहे थे। भाजपा विधायक इस बात पर अड़े रहे कि भ्रष्टाचार के मामले पर सदन में विशेष चर्चा करायी जाए।

भाजपा विधायकों का आरोप था कि मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तार कर लिया है और उनके पास से करोड़ों की नकदी बरामद हुई है। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू को भी ईडी ने पूछताछ के लिए सोमवार को बुलाया था लेकिन वह पेश होने से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की।

विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों से अपने स्थान पर लौटने एवं प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया। लेकिन जब भाजपा विधायक नहीं माने तो विधानसभाध्यक्ष ने चार भाजपा विधायकों- भानु प्रताप शाही, ढुल्लू महतो, रणधीर सिंह और जयप्रकाश भाई पटेल को तीन दिनों के लिए सदन से निलंबित कर दिया।

इस निलंबन पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं रांची से भाजपा विधायक चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र की हत्या है और विधायकों की आवाज दबाकर हेमंत सोरेन सरकार अपने भ्रष्टाचार के पापों को छिपा नहीं सकती है।’’

भाजपा के दूसरे विधायक अनंत ओझा ने विधानसभाध्यक्ष की इस कार्रवाई को अनुचित करार देते हुए कहा कि यह अध्यक्ष की गरिमा के अनुकूल नहीं है।

भाषा इन्दु

रंजन रमण प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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