नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) जाने-माने अर्थशास्त्री और मौद्रिक नीति समिति के सदस्य शशांक भिडे ने शुक्रवार को कहा कि घरेलू स्तर पर मजबूत अर्थव्यवस्था होने से भारत को रूस-यूक्रेन संघर्ष के नकारात्मक प्रभाव, कच्चे माल की ऊंची लागत और आपूर्ति गतिरोधों से निपटने में मदद मिलेगी।
भिडे ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि रूस एवं यूक्रेन के बीच छिड़े सैन्य संघर्ष के वैश्विक निहितार्थ कोविड-19 महामारी की ही तरह हैं। उन्होंने कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था उत्पादन की ऊंची लागत और आपूर्ति श्रृंखलाओं में पैदा हुए गतिरोध के असर में है।”
उन्होंने कहा कि इन बदले हुए हालात में कारोबारों एवं वृहद नीतियों के लिए जरूरी होगा कि प्रतिकूल प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा, “मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था नकारात्मक बाह्य प्रभाव को कम करने में मददगार होगी।”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रोजगार एवं परिवारों की आय में वृद्धि उपभोग व्यय में पुनरुद्धार का आधार साबित होगी। महामारी की रोकथाम के लिए लगाई गई पाबंदियों से आपूर्ति एवं मांग दोनों ही पक्षों पर गतिरोध पैदा हुए थे।
भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत समीक्षा करने वाली मौद्रिक नीति समिति में बाह्य सदस्य के तौर पर शामिल डॉ भिडे ने कहा कि अर्थव्यवस्था ने कोविड महामारी की तीन लहरों का सामना करने में काफी मजबूती दिखायी है।
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प्रेम रमण
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