मुंबई, 22 फरवरी (भाषा) शेयर बाजारों में गिरावट का सिलसिला मंगलवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में भी जारी रहा और उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 383 अंक नुकसान में रहा।
रूस-यूक्रेन के बीच गतिरोध बढ़ने के साथ वैश्विक बाजारों में भारी बिकवाली के बीच सूचकांक में मजबूत हिस्सेदारी रखने वाले टीसीएस, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में गिरावट से घरेलू बाजार नीचे आया।
शुरुआती कारोबार में तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स करीब 1,300 अंक लुढ़क गया था। बाद में इसमें तेजी से सुधार आया। इसके बावजूद यह अंत में 382.91 अंक यानी 0.66 प्रतिशत की गिरावट के साथ 57,300.68 अंक पर बंद हुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 114.45 अंक यानी 0.67 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,092.20 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के शेयरों में टाटा स्टील में सबसे ज्यादा 3.64 प्रतिशत की गिरावट आयी। टीसीएस (3.59 प्रतिशत) और एसबीआई (2.67 प्रतिशत) भी भारी नुकसान में रहे।
इसके अलावा, डॉ. रेड्डीज (2 प्रतिशत), आईटीसी (1.44 प्रतिशत), भारती एयरटेल (1.39 प्रतिशत) अैर इंडसइंड बैंक (1.39 प्रतिशत) में भी गिरावट रही। रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, एचसीएल टेक, विप्रो, एचयूएल, एलएंडटी और अल्ट्राटेक सीमेंट भी नुकसान में रहे।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 20 नुकसान में रहे।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘रूसी समर्थन वाले विद्रोहियों के दो क्षेत्रों को मान्यता देने से रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ गया है। कच्चे तेल और सोने के दाम में तेजी से आर्थिक प्रभाव का पता चल रहा है।’’
उन्होंने कहा कि भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती कच्चे तेल का दाम 97 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचना है। इसके कारण बढ़ने वाली मुद्रास्फीति के चलते रिजर्व बैंक उदार रुख को छोड़ने को मजबूर हो सकता है।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली जारी है और उन्होंने सोमवार को 2,261.90 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यक्रेन में अलगाववादियों के क्षेत्र की स्वतंत्रता को मान्यता दे दी है। इससे भू-राजनीतिक संकट गहराने का अंदेशा है।
एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख एस रंगनाथन ने कहा, ‘‘जब वैश्विक अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभाव से उबरना शुरू हुई थी और स्थिति सामान्य होती दिख रही थी, ऐसे समय में रूस ने यूक्रेन के अलगाववादियों के क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दे दी है। इससे रूस पर अमेरिका और यूरोपीय संघ की तरफ से गंभीर पाबंदियां लगायी जा सकती हैं।’’
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि रूस-यूक्रेन संकट के गहराने और तेल के दाम में तेजी से वैश्विक बाजारों में बड़ी गिरावट आयी।
उन्होंने कहा, ‘‘घरेलू शेयर बाजार वैश्विक प्रभाव के कारण भारी नुकसान के साथ खुला। हालांकि, बाद में कारोबार के दौरान गिरावट में कमी आयी। एफआईआई की बिकवाली जारी है। इससे उतार-चढ़ाव बढ़ा है। जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक निवेश बढ़ा रहे हैं।’’
रूस-यूक्रेन गतिरोध के बीच अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में सोमवार को गिरावट के बाद एशिया के अन्य बाजारों में बिकवाली देखी गयी। यूरोपीय बाजारों में भी दोपहर के कारोबार में यही स्थिति रही।
जापान का निक्की 225, 1.7 प्रतिशत जबकि हांगकांग का हैंगसेंग 2.7 प्रतिशत नीचे आ गया। दक्षिण कोरिया का कॉस्पी 1.4 प्रतिशत और चीन का शंघाई कंपोजिट एक प्रतिशत नुकसान में रहा।
इस बीच, ब्रेंट क्रूड वायदा चार प्रतिशत बढ़कर 97.35 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। कच्चे तेल का यह दाम सितंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक है।
भाषा
रमण अजय
अजय
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