नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि देश में भुखमरी और कुपोषण की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए हमें जच्चा-बच्चा पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि इन समस्याओं से पार पाने में सरकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, लेकिन निजी क्षेत्र को भी स्थानीय स्तर पर आगे आने की जरूरत है।
यहां मालाबार समूह के कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कांत ने कहा, ‘‘आज भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाली दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह आज चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले तीन साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा…।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम चावल के प्रमुख उत्पादक हैं। चावल और गेहूं के मामले में आत्मनिर्भर है। हम फल, दूध समेत अन्य प्रमुख खाद्य पदार्थों के प्रमुख उत्पादक हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भारत में लोग कुपोषण और भुखमरी की समस्या से जूझ रहे हैं। इसका कारण कमजोर माताएं हैं। कमजोर मां कुपोषित बच्चों को जन्म देंते हैं। यह पीढियों से चली आ रही समस्या है।’’
नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ने कहा, ‘‘हमें गर्भावस्था से लेकर बच्चे के जन्म तक गांवों से लेकर शहरों तक प्रत्येक महिलाओं पर ध्यान देना होगा और उनकी देखरेख करनी होगी। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बच्चों का जन्म अस्पताल में हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम आंगवाड़ी में तीन साल के बाद बच्चों को देखभाल करते हैं। देखभाल की यह व्यवस्था ठीक नहीं है। इसमें काफी देरी हो जाती है। हमें बच्चों के जन्म से 18 महीने तक ध्यान में रखने की जरूरत है। यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह वह समय है जब दिमाग विकसित होता है।’’
कांत ने कहा, ‘‘अगर हमें भुखमरी की समस्या से छुटकारा पाना है कि हमें सबसे पहले माताओं की देखभाल करनी होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में 19 करोड़ लोग कुपोषित हैं। सरकार इस चुनौती को स्वीकार करती है और इससे निजात पाने को कई कदम उठा रही है। इसमें मध्याह्न भोजन, राशन की दुकानों से मुफ्त अनाज, पोषण युक्त खाद्य पदार्थों की आपूर्ति शामिल हैं।
कांत ने कहा, ‘‘ हम कई क्षेत्रों में वंचित तबकों तक पहुंच रहे हैं। लेकिन सरकार अकेले यह नहीं कर सकती है। सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दे रही है लेकिन पोषण युक्त अनाज की जरूरत है। निजी क्षेत्र को स्थानीय स्तर पर आगे आने की जरूरत है और बच्चों का ध्यान रखने की जरूरत है।’’
इस मौके पर, मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स की मूल कंपनी मालाबार समूह ने कहा कि वह अपने सीएसआर उपायों को आगे बढ़ाने के लिए चालू वित्त वर्ष में 150 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
यह राशि स्वास्थ्य, भूख और गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण और वंचित तबकों के लिए मकान उपलब्ध कराने में खर्च की जाएगी।
मालाबार समूह के चेयरमैन एम पी अहमद ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘कंपनी अपने सीएसआर उपायों को आगे बढ़ाने के लिए चालू वित्त वर्ष में 150 करोड़ रुपये खर्च करेगी। कंपनी अपने कुल लाभ का पांच प्रतिशत सामाजिक कार्यों पर खर्च कर रही है।’’
मालाबार समूह ने अपनी प्रमुख सीएसआर पहल ‘हंगर फ्री वर्ल्ड’ के तहत 2025-26 में भारत और जाम्बिया में वंचित तबकों को प्रतिदिन 70 हजार और पूरे साल के दौरान 2.50 करोड़ लोगों को भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।’’
कंपनी ने पिछले तीन साल में 2.5 करोड़ लोगों को भोजन वितरित किया है।
अहमद ने कहा, ‘‘यह खाद्य सुरक्षा के लिए समूह की ठोस प्रतिबद्धता के बारे में भी बताता है। यह कदम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य…किसी को भूखा नहीं रखने के लक्ष्य के अनुरूप है।’’
भाषा रमण अजय
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