नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) सौर उपकरण विनिर्माताओं को अभी अपने संयंत्रों का परिचालन मात्र 30 प्रतिशत क्षमता पर करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उन्हें भारी नुकसान हो रहा है। अखिल भारतीय सौर उद्योग संघ (एआईएसआईए) ने बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह को अपनी स्थिति से अवगत कराया है।
संघ का कहना है कि घरेलू विनिर्माताओं को अपनी पकड़ बनाने तथा स्थापित होने में मदद के लिए संरचनात्मक रक्षोपायों के साथ शुल्क अड़चनों को भी दूर करने की जरूरत है।
इससे पहले इसी सप्ताह सिंह को लिखे पत्र में संघ ने कहा कि हम पिछले एक दशक से पुनरोद्धार की उम्मीद कर रहे हैं। कड़ी चुनौतियों के बीच आज हमारा टिके रहना मुश्किल हो गया है। एक मजबूत ‘मेक इन इंडिया’ सौर विनिर्माण के बिना देश की ऊर्जा क्षेत्र की सुरक्षा पर आशंका मंडराती रहेगी।
पत्र में कहा गया है कि घरेलू उपकरण विनिर्माताओं को स्थापित करने के लिए संरचनात्मक रक्षोपाय जरूरी है। विनिर्माताओं को कम से कम चार से पांच साल सीमा शुल्क, रक्षोपाय या सेफगार्ड शुल्क के मोर्चे पर मदद दी जानी चाहिए और उसके बाद इन्हें धीरे-धीरे वापस लिया जाना चाहिए।
विनिर्माताओं ने कहा कि अप्रैल, 2021 से सौर उपकरणों का आयात मासिक आधार पर लगातार 800 मेगावॉट से ऊपर बना हुआ है।
फरवरी, 2022 तक 11 माह में कुल आयात 16 गीगावॉट है। यह कुल 10 गीगावॉट की स्थापना से कहीं अधिक है। इससे स्पष्ट पता चलता है कि बड़ी मात्रा में भंडार जमा हो रहा है।
पत्र में कहा गया है कि सितंबर, 2021 से फरवरी, 2022 तक छह माह के दौरान मॉड्यूल का आयात 11.93 गीगावॉट रहा। इससे पता चलता है कि डेवलपर्स और व्यापारी घरेलू विनिर्माण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। संघ ने कहा कि फरवरी, 2022 में 3.21 गीगावॉट के आयात से घरेलू विनिर्माताओं की स्थिति का पता चलता है।
भाषा अजय अजय
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