मुंबई, 10 जुलाई (भाषा) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के स्तर पर मजबूत कर्ज संग्रह और उच्च ऋण वृद्धि से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्रतिभूतिकरण का आकार 60 प्रतिशत बढ़कर 55,000 करोड़ रुपये हो गया। सोमवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में प्रतिभूतिकरण का यह आंकड़ा अबतक का सर्वाधिक तिमाही स्तर है। रिपोर्ट में इसका श्रेय बैंकों एवं एनबीएफसी से प्रतिभूतिकण को वित्तपोषण के एक साधन के रूप में देखने की बढ़ती प्रवृत्ति को दिया गया है।
प्रतिभूतिकरण के तहत एक वित्त-प्रदाता या कर्जदाता किसी ऋण या कर्जों के एक समूह पर भविष्य में मिलने वाली राशि को दूसरे वित्त-प्रदाताओं को हस्तांतरित कर देता है। इससे उन्हें तात्कालिक तौर पर तरलता की जरूरतें पूरी करने में मदद मिलती है।
रिपोर्ट कहती है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्रतिभूतिकरण से संबंधित लेनदेन एक साल पहले के 160 से बढ़कर 250 से अधिक हो गए। इनमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अलावा विदेशी बैंकों का दबदबा रहा।
क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक एवं मुख्य रेटिंग अधिकारी कृष्णन सीतारमण ने कहा, ‘‘प्रतिभूतिकरण से बैंकों को दो सहूलियत हो रही हैं। वे अपनी कर्ज सीमा पर कोई सीधा असर डाले बगैर ऋण वृद्धि को बनाए हुए हैं और इसी के साथ वे खुदरा कर्जों पर अपने जोखिम का विविधीकरण भी कर रहे हैं।’’
उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि इस वित्त वर्ष में प्रतिभूतिकरण का आकार 1.9 लाख करोड़ रुपये के पिछले साल के आंकड़े से आगे निकल जाएगा।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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