नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में एंकर निवेशकों के लिए शेयर-आवंटन ढांचे में सुधार करते हुए नियमों में संशोधन किया है। इस कदम का उद्देश्य म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और पेंशन कोष जैसे घरेलू संस्थागत निवेशकों की भागीदारी को व्यापक बनाना है।
इसके तहत, नियामक ने एंकर हिस्से में कुल आरक्षित कोटा को बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 33 प्रतिशत था। इसमें म्यूचुअल फंड के लिए 33 प्रतिशत और बीमा कंपनियों तथा पेंशन कोष के लिए शेष सात प्रतिशत शामिल है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 31 अक्टूबर की एक अधिसूचना में कहा कि यदि बीमा कंपनियों और पेंशन कोष के लिए आरक्षित सात प्रतिशत हिस्से को अभिदान नहीं मिलता है, तो उसे म्यूचुअल फंड को आवंटित कर दिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, नियामक ने आईपीओ के लिए अनुमति प्राप्त एंकर निवेशकों की संख्या में भी वृद्धि की है।
सेबी ने कहा, ‘‘कुल 250 करोड़ रुपये तक के आवंटन के लिए न्यूनतम पांच और अधिकतम 15 निवेशकों को अनुमति दी जाएगी। प्रत्येक अतिरिक्त 250 करोड़ रुपये या उसके हिस्से के लिए, अतिरिक्त 15 निवेशकों को अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि प्रति निवेशक न्यूनतम आवंटन पांच करोड़ रुपये हो।’’
साथ ही सोच-विचार कर एंकर हिस्से के अंतर्गत आवंटन, श्रेणी I (10 करोड़ रुपये तक) और श्रेणी II (10 करोड़ रुपये से अधिक और 250 करोड़ रुपये तक) को 250 करोड़ रुपये तक के आवंटन के लिए एक ही श्रेणी में मिला दिया गया है। इसमें एंकर आवंटियों की न्यूनतम संख्या पांच और अधिकतम 15 (प्रति निवेशक न्यूनतम आवंटन पांच करोड़) होगी।
यह व्यवस्था आईपीओ में दीर्घकालिक संस्थागत निवेशकों की भागीदारी को व्यापक बनाएगी। इन्हें प्रभावी बनाने के लिए, नियामक ने आईसीडीआर (पूंजी निर्गम और खुलासा जरूरत) मानदंडों में संशोधन किया है, जो 30 नवंबर से लागू होंगे।
भाषा रमण अजय
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