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मुंबई, 11 जून (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को कहा कि उसने प्रतिभूति बाजार के भीतर वित्तीय लेनदेन की सुरक्षा और पहुंच में सुधार के लिए निवेशकों से धन एकत्र करने वाले सभी पंजीकृत मध्यस्थों के लिए एक नई यूपीआई भुगतान व्यवस्था को अनिवार्य कर दिया है।
पंजीकृत मध्यस्थों में शेयर ब्रोकर, मर्चेंट बैंकर, डिपॉजिटरी, निवेश सलाहकार और पोर्टफोलियो प्रबंधक शामिल हैं। ये मध्यस्थ वित्तीय बाजारों में निवेशकों और विभिन्न इकाइयों के बीच कड़ी की तरह काम करते हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख तुहिन कांत पांडेय ने यहां संवाददाताओं को बताया कि यह एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) भुगतान व्यवस्था एक अक्टूबर, 2025 से सक्रिय हो जाएगी।
हाल के वर्षों में कई गैर-पंजीकृत संस्थाओं ने धोखाधड़ी के जरिये निवेशकों को गुमराह किया है। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए सेबी ने यह कदम उठाया है।
फर्जी तरीके से पहचान के इस्तेमाल की समस्या से बचने और निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए बाजार नियामक ने निवेशकों से धन एकत्र करने वाले सभी पंजीकृत बिचौलियों के लिए एक नए यूपीआई पता संरचना को अनिवार्य कर दिया है।
पांडेय ने कहा, ‘‘यह अभिनव तंत्र सत्यापित और सुरक्षित भुगतान माध्यम देकर प्रतिभूति बाजार के भीतर वित्तीय लेनदेन की सुरक्षा और पहुंच में महत्वपूर्ण रूप से सुधार करने के लिए तैयार है।’’
निवेशकों को सशक्त बनाने के लिए बाजार नियामक ‘सेबी चेक’ नाम की एक नई क्षमता विकसित कर रहा है। यह नया साधन क्यूआर कोड स्कैन कर या यूपीआई आईडी दर्ज करके और पंजीकृत मध्यस्थ के खाता नंबर एवं आईएफएससी कोड जैसे बैंक विवरणों की पुष्टि करके यूपीआई पहचान की प्रामाणिकता को सत्यापित करने में सक्षम करेगा।
सेबी ने जनवरी में इस संबंध में एक परामर्श पत्र जारी किया था। उस पर आए सुझावों को ध्यान में रखते हुए यह व्यवस्था की गई है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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