नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने सामाजिक शेयर बाजार (एसएसई) के लिए विस्तृत रूपरेखा पेश की है।
नयी रूपरेखा में गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) के लिए न्यूनतम जरूरतों को तय किया गया है, जो इस बाजार में पंजीकरण और खुलासे के लिए जरूरी है।
इससे पहले सेबी ने सामाजिक क्षेत्र के उद्यमों को धन जुटाने का अतिरिक्त विकल्प प्रदान करने के लिए जुलाई में सामाजिक शेयर बाजार की रूपरेखा को अधिसूचित किया था।
सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) के लिए यह रूपरेखा बाजार नियामक की तरफ से गठित एक कार्यसमूह और तकनीकी समूह की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गयी है।
एसएसई का विचार सबसे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 अपने बजट भाषण में पेश किया था। इसका उद्देश्य निजी और गैर-लाभकारी क्षेत्रों को अधिक धन जुटाने का अवसर देना है।
सेबी ने अपने परिपत्र में एसएसई के साथ पंजीकरण के लिए एनपीओ द्वारा पूरी की जाने वाली न्यूनतम आवश्यकताओं का ब्योरा दिया है। इसमें एनपीओ के लिए ‘जीरो-कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट्स’ जारी करके धन जुटाने की आवश्यकता और बाजारों में एनपीओ द्वारा किए जाने वाले वार्षिक ब्योरे के खुलासे आवश्यकताओं को पूरा करना शामिल है। ‘जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों पर पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा सेबी के नियमनों के अनुरूप जारी किए जाते हैं।
इसके अलावा नयी रूपरेखा में सूचीबद्ध एनपीओ को तिमाही के अंत से 45 दिन के भीतर एसएसई को धन के उपयोग का विवरण देना होगा, जैसा कि सेबी के नियमों के तहत अनिवार्य है।
साथ ही सेबी ने एसएसई का उपयोग करके धन जुटाने वाले सामाजिक उद्यमों को वित्त वर्ष के अंत से 90 दिन के भीतर वार्षिक प्रभाव रिपोर्ट (एआईआर) का खुलासा करने के लिए कहा है। नए नियमों के तहत एसएसई मौजूदा शेयर बाजारों का एक अलग खंड होगा।
सेबी ने कहा कि सामाजिक उपक्रमों को नियामक द्वारा सूचीबद्ध 16 व्यापक गतिविधियों में से एक में काम करना होगा।
इसमें भुखमरी उन्मूलन, गरीबी, कुपोषण और असमानता, स्वास्थ्य सेवा का प्रसार, शिक्षा को समर्थन, रोजगारोन्मुखता और आजीविका और महिलाओं के सशक्तीकरण जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
भाषा जतिन अजय
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