नयी दिल्ली, 13 मार्च (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचना (यूपीएसआई) के दायरे को बढ़ाया है। इसमें ऐसी किसी भी प्रस्तावित राशि जुटाने वाली गतिविधियों के समझौतों को शामिल किया है, जो कंपनी के प्रबंधन या नियंत्रण, पुनर्गठन योजनाओं और एकमुश्त बैंक निपटान को प्रभावित कर सकते हैं।
इस कदम का उद्देश्य अनुपालन में नियामकीय स्पष्टता, निश्चितता और एकरूपता को बढ़ाना है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इसे अमल में लाने के लिए 11 मार्च को जारी एक अधिसूचना में भेदिया कारोबार नियमों में संशोधन किया। नये नियम 10 जून से लागू होंगे।
सेबी ने अधिसूचना में कहा कि कोई भी प्रस्तावित राशि जुटाने वाली गतिविधि, ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और संचालन) रेटिंग के अलावा क्रेडिट रेटिंग में ऊपर या नीचे संशोधन और कंपनी के प्रबंधन या नियंत्रण को प्रभावित करने वाले समझौतों को अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचना माना जाएगा।
इसके अलावा, कंपनी दिवाला प्रक्रियाओं से संबंधित मामले यूपीएसआई के दायरे में आएंगे। इसमें समाधान योजनाओं की मंजूरी, एकमुश्त निपटान या बैंकों या वित्तीय संस्थानों से ऋण का पुनर्गठन शामिल है।
सेबी ने कहा कि कंपनी, उसके प्रवर्तक, निदेशक, प्रबंधन से जुड़े कर्मचारी या सहायक कंपनी की धोखाधड़ी या चूक या कंपनी के प्रमुख कर्मचारियों, प्रवर्तक या निदेशक की गिरफ्तारी, चाहे वह भारत में हुई हो या विदेश में, यूपीएसआई अंतर्गत आएगी।
इसके अलावा, कंपनी की तरफ से गलत वित्तीय सूचना, गड़बड़ी, या कोष की हेराफेरी के संबंध में फॉरेंसिक ऑडिट की कोई भी शुरुआत या अंतिम फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट की प्राप्ति यूपीएसआई के दायरे में आएगी।
कंपनी या उसके निदेशकों, प्रबंधन से जुड़े प्रमुख कर्मचारी, प्रवर्तक या सहायक कंपनियों के खिलाफ नियामक, वैधानिक, प्रवर्तन प्राधिकरण या न्यायिक निकाय द्वारा भारत या विदेश में शुरू की गई कोई भी कार्रवाई या पारित आदेश यूपीएसआई के अंतर्गत आएंगे।
भाषा रमण अजय
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