नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों के सीईओ, सीआईओ और फंड मैनेजर समेत वरिष्ठ कर्मचारियों के लिए उनकी योजनाओं में अनिवार्य रूप से निवेश करने से संबंधित प्रावधानों को आसान कर दिया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वरिष्ठ कर्मचारियों को वेतन के आधार पर अनिवार्य रूप से फंड योजनाओं में निवेश किए जाने वाले प्रतिशत को कम करने का आदेश शुक्रवार को जारी किया।
दरअसल परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) की निवेश योजनाओं में उनके वरिष्ठ अधिकारियों का निहित स्वार्थ आड़े न आए, इसलिए अब तक उनके लिए अपनी ही योजनाओं में वार्षिक वेतन का 20 प्रतिशत निवेश करना अनिवार्य था। यह राशि तीन साल तक निकाली नहीं जा सकती थी।
सेबी ने प्रकटीकरण की आवृत्ति को कम करने के साथ कुछ कर्मचारियों के लिए लॉक-इन अवधि को भी घटाया है। नए नियम एक अप्रैल, 2025 से लागू होंगे।
नए नियमों के मुताबिक 25 लाख रुपये से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को कोई निवेश करना अनिवार्य नहीं होगा। इसके बाद 25 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक वेतन वाले कर्मचारियों को वेतन का न्यूनतम 10 प्रतिशत (कर्मचारियों को कंपनी से मिलने वाले शेयर या ईसॉप्स को मिलाकर 12.5 प्रतिशत) निवेश करना होगा।
इसके अलावा, 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये के बीच वेतन पाने वाले कर्मचारियों को अपने वेतन का कम से कम 14 प्रतिशत (ईसॉप्स के साथ 17.5 प्रतिशत) का निवेश करना होगा। इसके बाद एक करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक वेतन पाने वालों को न्यूनतम 18 प्रतिशत (ईसॉप्स के साथ 22.5 प्रतिशत) का निवेश करना जरूरी है।
एएमसी को प्रत्येक तिमाही के बाद 15 दिनों के भीतर शेयर बाजारों को कर्मचारियों द्वारा म्यूचुअल फंड इकाइयों में किए गए निवेश की जानकारी देनी होगी।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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